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आईआईटी कानपुर का शिक्षक प्रशिक्षण: 750 गुरुजन गढ़ेंगे 75 लाख छात्रों का डिजिटल भविष्य
Kanpur News: आईआईटी कानपुर ने डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और एआई आधारित शिक्षक प्रशिक्षण की शुरुआत की, जिससे 75 जिलों के 75 लाख छात्र लाभान्वित होंगे।
Kanpur News: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने डिजिटल साक्षरता, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (DLCCAI) विषय पर आधारित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह देश का पहला अनूठा प्रयास है, जिसके तहत सरकारी स्कूलों के विज्ञान शिक्षकों को भविष्य उन्मुख शिक्षा पद्धति से प्रशिक्षित किया जाएगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है।
आईआईटी कानपुर परिसर में दीप प्रज्वलन के साथ शुभारंभ हुए इस कार्यक्रम में प्रोफेसर जे. रामकुमार ने स्वागत भाषण दिया। उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों से चुने गए 750 विज्ञान शिक्षक इसमें शामिल हुए, जो पीएम श्री स्कूल, अपर प्राइमरी स्कूल और कंपोजिट स्कूल से आए हैं। प्रशिक्षण को कई चरणों में बांटा गया है, जिसमें आईआईटी कानपुर में पाँच दिन का ऑफलाइन गहन प्रशिक्षण और उसके बाद ऑनलाइन फॉलोअप सत्र होंगे, ताकि सीखी गई सामग्री को लंबे समय तक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।इस पहल के माध्यम से 750 शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को प्रशिक्षित करेंगे, जिससे लगभग 75 लाख विद्यार्थियों को सीधा लाभ पहुंचेगा। इस लिहाज से यह कार्यक्रम देश के सबसे बड़े शिक्षक प्रशिक्षण प्रयासों में से एक माना जा रहा है।
उद्घाटन सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में प्रोफेसर सत्यकि रॉय, अध्यक्ष, डिज़ाइन विभाग, आईआईटी कानपुर; डॉ. पवन सचान, संयुक्त निदेशक, एससीईआरटी, उत्तर प्रदेश और प्रोफेसर जे. रामकुमार मौजूद रहे।डॉ. पवन सचान ने कहा कि एससीईआरटी ने हाल के वर्षों में डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और एआई को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया है। अब इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों से साझेदारी की जा रही है। उनका कहना था कि यह प्रशिक्षण भविष्य की कक्षाओं को तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम है।
प्रो. सत्यकि रॉय ने डिजिटल साक्षरता के संदर्भ में कहा कि शिक्षकों के लिए ऑनलाइन सामग्री तक पहुँचना आसान है, लेकिन ग्रामीण छात्रों के लिए यह चुनौतीपूर्ण है। कई परिवारों में केवल एक स्मार्टफोन होता है, जिससे निरंतर पढ़ाई कठिन हो जाती है। इसलिए छात्रों को यह सिखाना भी जरूरी है कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहकर सही सामग्री कैसे चुनी जाए।वहीं, कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. जे. रामकुमार ने कहा कि यह पहल उभरती तकनीकों को कक्षा शिक्षण से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगी और उत्तर प्रदेश को शैक्षिक नवाचार में अग्रणी बनाएगी।
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