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Kanpur News: 23 साल बाद लौटे अपने खेत... किसानों की आंखों में आंसू, दिल में उम्मीद, DM की पहल से बदली कर्ज में डूबी ज़िंदगी
Kanpur News: कर्ज से परेशान किसानों को मिली राहत। कानपुर के डीएम ने 23 साल बाद किसानों को उनकी ज़मीन वापस दिलाई और 19.5 लाख रुपये का कर्ज माफ करवाया। जानिए पूरी कहानी।
Kisan Loan Waiver
Kanpur News: देश में समय-समय पर कर्ज न चुकाने के कारण किसानों, व्यापारियों और कामगारों द्वारा आत्महत्या की दुखद घटनाएँ सामने आती रहती हैं। हाल ही में लखनऊ में एक व्यापारी के अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या की घटना ने सबको झकझोर दिया है। 48 वर्षीय शोभित रस्तोगी, उनकी पत्नी शुचिता और 16 वर्षीय बेटी ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण बैंक का कर्ज न चुका पाना था।
यह घटना बताती है कि कर्ज के बोझ ने न जाने कितने परिवारों को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है। लेकिन इसी उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसी मिसालें भी देखने को मिल रही हैं, जहां प्रशासन की संवेदनशीलता ने डूबते किसानों के परिवारों को नई ज़िंदगी दी है। ऐसी ही मिसाल कायम की है कानपुर के वर्तमान जिला अधिकारी जे. पी. सिंह ने। श्री सिंह ने कानपुर में कई कर्जदारों को राहत दी है। इससे पहले बागपत में जिला अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए भी उन्होंने कर्ज में डूबे किसानों को उबारा था।
कानपुर में 23 साल बाद लौटे खेत
कानपुर में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की पहल से चार गरीब किसानों की वो जमीनें वापस मिल गईं, जो पिछले 23 सालों से बैंक में बंधक पड़ी थीं। करीब 2.50 लाख रुपये की राशि जमा कर किसानों को उनकी पुश्तैनी जमीन वापस दिलाई गई। यही नहीं, डीएम ने अपने प्रयासों से सात दिवंगत किसानों के परिवारों का भी 19.50 लाख रुपये का कर्ज माफ कराया। कर्ज से मुक्त हुए परिवारों की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार वो दुख के नहीं, राहत और उम्मीद के थे। मृतक किसान प्रेम सुंदर का नाबालिग बेटा अब खेत में लौटकर पिता की विरासत संभालने की तैयारी में है। वहीं, मुकेश के बेटे को मजदूरी छोड़, जमीन वापस मिलने से भविष्य की नई राह दिखी है।
इन चार किसानों का मुक्त हुआ कर्ज
चार किसानों का कुल ₹2,50,000 का कर्ज माफ़ किया गया है। अमीली सरसौल के रविक का कर्ज ₹48,000, कबीरपुर के सुशील कुमार का ₹89,000, मिर्जापुर की पूनम देवी का ₹20,000 और खजुरी के सुभाष चंद्र का ₹39,000 था।
दिवंगत किसानों का भी हुआ कर्ज माफ
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने 8.50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता से सात दिवंगत किसानों के परिवारों को बैंक कर्ज से मुक्त करवा दिया। इनमें अधिकतर किसान ऐसे थे, जिनकी मौत के बाद उनके परिवार आर्थिक संकट में डूबे हुए थे। कर्ज चुकाना उनके लिए असंभव हो गया था।
इन दिवंगत किसानों का हुआ कर्ज माफ
प्रेम सुंदर, मोहम्मद इलियास, गिरवर, ब्रजपाल, अनिल, श्यामे, मुकेश
इन परिवारों की कहानी
दिवंगत किसान प्रेम सुंदर का नाबालिग बेटा आज खेत में लौटकर पिता की विरासत संभालने की तैयारी कर रहा है। वहीं, मृतक अनिल की तीन बेटियां हैं, जो अब भी नाबालिग हैं। मुकेश के बेटे को मजदूरी कर परिवार पालना पड़ रहा था, लेकिन अब जमीन वापस मिलने से उनके जीवन में उम्मीद जगी है।
मानवता की मिसाल बने डीएम
बैंक में जमा कर्ज और ब्याज न चुका पाने के कारण इन किसानों की जमीनें बंधक हो गई थीं। बैंक की ओर से बार-बार नोटिस मिल रहे थे। दिवंगत किसानों के परिवारों पर तो कर्ज का पहाड़ बन गया था। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वे कर्ज चुका पाने में असमर्थ थे। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने मामले को संज्ञान में लेकर ना सिर्फ खुद आर्थिक सहायता की, बल्कि शासन की ऋण मोचन योजना के तहत बाकी राशि भी जमा कराई और सभी की जमीनें मुक्त कराईं।
यह है ऋण मोचन योजना
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड द्वारा ऋणी सदस्यों के लिए शुरू की गई यह योजना 2024 में लागू की गई। इसमें उन किसानों को राहत दी जाती है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या जिनके परिवार के मुखिया की मृत्यु हो चुकी है।
बैंक ने 11 लापरवाह किसानों को दी चेतावनी
हालांकि, अभी भी जिले में 11 ऐसे किसान परिवार हैं, जिन्होंने वर्षों पहले लिया गया कर्ज जमा नहीं किया है। बैंक लगातार नोटिस भेज रहा है। डीएम ने ऐसे किसानों को अंतिम मौका देते हुए कहा कि अगर तय समय में कर्ज नहीं चुकाया गया, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
किसानों की आंखों में आंसू, चेहरों पर मुस्कान
खजुरी निवासी सुभाष चंद्र ने कहा, 23 साल से हमारी जमीन बैंक में बंधक थी। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ये जमीन हमें वापस मिल जाएगी। डीएम साहब ने हमें नई जिंदगी दी है। दिवंगत किसान प्रेम सुंदर के बेटे ने नम आंखों से कहा, पापा के जाने के बाद ऐसा लगा कि सब खत्म हो गया है। पर अब जमीन वापस मिली है, उम्मीदें लौट आई हैं।
ग्रामीणों ने कहा- ऐसी पहल हर जिले में हो
किसानों और ग्रामीणों ने डीएम की सराहना करते हुए कहा कि अगर हर जिले में अधिकारी ऐसी संवेदनशीलता दिखाएं, तो कोई भी गरीब किसान कर्ज में डूब कर अपनी जान नहीं देगा।
डीएम ने बागपत में भी किसानों को कर्ज कराया था माफ़
कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह इससे पहले जब बागपत में तैनात थे, तब भी उन्होंने इसी तरह कर्ज में डूबे गरीब किसानों को राहत दी थी। बागपत में डीएम के प्रयासों से सात दिवंगत किसानों के परिवारों का बैंक का कर्ज माफ हुआ। इनमें अधिकतर परिवार ऐसे थे, जिनके पास नाबालिग बच्चे हैं और सिर पर कर्ज का पहाड़ टूट पड़ा था। डीएम ने खुद 8.50 लाख रुपये की वित्तीय मदद की और सरकार की ऋण मोचन योजना के तहत बाकी कर्ज भी माफ कर दिया।
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