Kushinagar News: आस्था, परंपरा और भक्ति का प्रतीक है अमवा धाम, जहां 1973 से हो रहा है अखंड सीताराम कीर्तन

Kushinagar News: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद स्थित अमवा धाम शिव मंदिर इस पवित्र अवसर पर आस्था, परंपरा और भक्ति का जीवंत केंद्र बन जाता है। रामकोला-कसया मार्ग पर नगर क्षेत्र में स्थित यह मंदिर सावन के पवित्र सोमवारों पर विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है।

Mohan Suryavanshi
Published on: 15 July 2025 12:52 PM IST
Kushinagar News: आस्था, परंपरा और भक्ति का प्रतीक है अमवा धाम, जहां 1973 से हो रहा है अखंड सीताराम कीर्तन
X

Kushinagar News

Kushinagar News: सावन माह में जहां पूरे देश में शिवभक्ति की लहर उमड़ती है, वहीं उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद स्थित अमवा धाम शिव मंदिर इस पवित्र अवसर पर आस्था, परंपरा और भक्ति का जीवंत केंद्र बन जाता है। रामकोला-कसया मार्ग पर नगर क्षेत्र में स्थित यह मंदिर सावन के पवित्र सोमवारों पर विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है।

प्राचीन परंपरा और मान्यताएं

मंदिर परिसर में स्थित प्राचीन कुएं से जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि सावन में यहां जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अमवा धाम में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है, जिसे स्थानीय श्रद्धालु बऊरहवा बाबा के नाम से पूजते हैं।जनश्रुतियों के अनुसार, पहले यह स्थान घने जंगलों से आच्छादित था। एक दिन कुछ चरवाहों ने यहां धरती से प्रकट हुए शिवलिंग को देखा और तभी से यहां पूजन की परंपरा का श्रीगणेश हुआ।

मंदिर स्थापना और अखंड कीर्तन की शुरुआत

3 जुलाई 1969 को मंदिर की विधिवत स्थापना की गई थी। इसके बाद 27 सितंबर 1973 से अखंड सीताराम संकीर्तन की शुरुआत हुई, जो आज भी ढोल-मंजीरे के साथ निरंतर जारी है।

विशेष आयोजन: माघ मास और सावन में भंडारे

माघ मास में यहां नौ दिवसीय यज्ञ और प्रवचन कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसकी पूर्णाहुति पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है। वर्ष 1985 में हुए यज्ञ में करपात्री महाराज और महंत अवैद्यनाथ जैसे संतों ने भी भाग लिया था।

सावन के हर सोमवार को मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें खिचड़ी, हलवा, पूड़ी-सब्जी सहित विविध व्यंजन श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, वर्षभर प्रतिदिन सुबह और शाम मंदिर समिति की ओर से निःशुल्क भंडारा संचालित होता है, जो अमवा धाम को सेवा और समर्पण का मंदिर बनाता है।

मनोकामना पूर्ति और रुद्राभिषेक

अमवा धाम न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह श्रद्धा, सेवा और अध्यात्म का प्रतीक भी है। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं, और पूर्ण होने पर रुद्राभिषेक तथा भंडारे का आयोजन कराते हैं।

जनसहयोग से होता है मंदिर संचालन

अमवा धाम का संपूर्ण संचालन जनसहयोग और भक्तों की निष्ठा पर आधारित है। यही कारण है कि यह मंदिर केवल ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि जन-भावनाओं और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन गया है।

1 / 7
Your Score0/ 7
Shalini Rai

Shalini Rai

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!