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लविवि में कला-साहित्य और संस्कृति का शानदार समागम: साहित्यकारों और कलाकारों ने साझा किए विचार
साहित्यिक संवाद का पहला सत्र अनुवाद में तकनीक का दखल पर केंद्रित था, जिसमें पंजाबी-हिंदी अनुवादक सुभाष नीरव, ओड़िया अनुवादक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, और मराठी अनुवादक समीक्षा तैलंग ने विचार साझा किए।
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Lucknow Today News: लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रांगण में पांचवे दिन का आगाज कला, साहित्य और संस्कृति के भव्य संगम के साथ हुआ। यह दिन विशेष रूप से बच्चों के लिए आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं, साहित्यिक संवादों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ भरा हुआ रहा। सुबह से ही बाल मंडप में नौ स्कूलों के करीब 800 बच्चों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। ये बच्चे पुस्तकों और रचनात्मकता की दुनिया से जुड़ने के लिए नए शिल्प सीखने के लिए आतुर थे। दिन की शुरुआत प्रसिद्ध कथाकार अमृत नागपाल के साथ हुई, जिन्होंने बच्चों को स्टोरीबोर्ड के माध्यम से सामूहिक विचारों को चित्रों के रूप में प्रस्तुत करना सिखाया। इसके बाद जापानी कला ओरिगामी से बच्चों को परिचित कराया गया, जहां उन्होंने कागज से विभिन्न प्रकार के हवाई जहाज बनाए।
इसके अलावा राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के राष्ट्रीय बाल साहित्य केंद्र (NCCL) द्वारा बच्चों को बुकमार्क बनाने की कला सिखाई गई और उन्हें राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय ऐप से भी परिचित कराया गया। इस ऐप में 3,000 से अधिक ई-पुस्तकें निशुल्क उपलब्ध हैं, जिनमें भारतीय भाषाओं और विभिन्न विषयों पर आधारित साहित्य शामिल है।
अनुवाद में तकनीक का दखल
साहित्यिक संवाद का पहला सत्र अनुवाद में तकनीक का दखल पर केंद्रित था, जिसमें पंजाबी-हिंदी अनुवादक सुभाष नीरव, ओड़िया अनुवादक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, और मराठी अनुवादक समीक्षा तैलंग ने विचार साझा किए। सत्र के समन्वयक वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक प्रितपाल कौर थीं। इस संवाद में वक्ताओं ने अनुवाद में तकनीक के योगदान और उसके संभावित खतरों पर विस्तार से चर्चा की।
स्त्री अस्मिता पर विचारोत्तेजक विमर्श
इसके बाद स्त्री अस्मिता के प्रश्न कुछ भीतर, कुछ बाहर सत्र हुआ, जिसमें महिला अधिकारों, लैंगिक भेदभाव और समानता पर गहन विमर्श हुआ। डॉ. रजनी गुप्ता, डॉ. विवेक मिश्रा, कंचन सिंह चौहान और स्वाति चौधरी जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए। सत्र में वक्ताओं ने शिक्षा, आर्थिक अवसरों में समानता और घरेलू कार्यों में महिलाओं की समान भागीदारी पर बल दिया।
काव्य और संगीत का रंगीन संगम
दिन के अंतिम सत्र में काव्य और संस्कृति का शानदार संगम हुआ। प्रसिद्ध कवि डॉ. संजय मिश्र 'शौक', डॉ. सूर्य कुमार पांडेय, राम प्रकाश 'बेख़ुद', मुकुल 'महान', और अन्य कई विख्यात कवियों ने अपनी सशक्त कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इससे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने संगीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, जिसने पूरे उत्सव के साहित्यिक वातावरण को और भी जीवंत बना दिया।
पांचवे दिन का उत्सव न केवल साहित्य और कला के क्षेत्र में एक अद्वितीय अनुभव था, बल्कि यह बच्चों और युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मंच साबित हुआ। इस दिन ने यह स्पष्ट कर दिया कि लखनऊ विश्वविद्यालय न केवल एक शैक्षिक संस्थान है, बल्कि एक सांस्कृतिक केंद्र भी है, जहां कला, साहित्य और संस्कृति के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी विमर्श होता है।
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