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Lucknow News: पंखे से झूलती लाश और अफसर पति पर सवाल! ASP समेत पांच पर FIR दर्ज
Lucknow News: लखनऊ की वो दोपहर किसी को भी सामान्य नहीं लग रही थी। एक ओर सन्नाटा था, दूसरी ओर पुलिस लाइन ट्रांजिट हॉस्टल में मची अफरातफरी क्योंकि वहां पंखे से लटकी एक महिला की लाश मिली थी नाम था नितेश सिंह, जो एक सीबीसीआईडी अफसर की पत्नी थी।
Lucknow News: लखनऊ की वो दोपहर किसी को भी सामान्य नहीं लग रही थी। एक ओर सन्नाटा था, दूसरी ओर पुलिस लाइन ट्रांजिट हॉस्टल में मची अफरातफरी। क्योंकि वहां पंखे से लटकी एक महिला की लाश मिली थी नाम था नितेश सिंह, जो एक सीबीसीआईडी अफसर की पत्नी थी। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जल्द ही यह मामला एक घरेलू कलह नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या की शक्ल लेने लगा। अब एएसपी मुकेश प्रताप सिंह जो यूपी पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर तैनात हैं, उन पर और उनके पूरे परिवार पर हत्या और उत्पीड़न का केस दर्ज हो चुका है। न केवल पति, बल्कि पिता, मां, तहसीलदार भाई और बहन पर भी नामजद एफआईआर हुई है। इस हाई-प्रोफाइल केस ने पुलिस महकमे से लेकर राजनीतिक गलियारों तक को हिला दिया है।
जब प्यार ने लिया शक का मोड़
नितेश और मुकेश की शादी 2012 में हुई थी। एक सामान्य शादी, जैसा परिवार ने सोचा था लेकिन असल में यह रिश्ता धीरे-धीरे जहरीला बनता गया। प्रमोद कुमार सिंह, जो कि नितेश के भाई हैं और फिरोजाबाद के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उन्होंने आरोप लगाया कि मुकेश का एक महिला से प्रेम संबंध था। वह महिला आशियाना इलाके में रहती थी और किसी सरकारी विभाग में काम करती थी। नितेश को मुकेश के फोन पर इस प्रेम-प्रसंग के सबूत भी मिले मैसेज, कॉल लॉग्स और तस्वीरें। जब नितेश ने विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट और मानसिक प्रताड़ना शुरू हो गई। घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया। मुकेश के माता-पिता, छोटा भाई अनुभव (जो एक तहसीलदार है), और बहन आस्था सभी ने नितेश को लगातार परेशान करना शुरू कर दिया। प्रमोद का दावा है कि पूरा परिवार बहन को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रहा था।
तलाक का दबाव और आत्महत्या की धमकी
बात सिर्फ मानसिक पीड़ा तक सीमित नहीं रही। नितेश पर तलाक देने का दबाव बनाया जाने लगा। उसे बार-बार धमकाया जाता कि वो खुदकुशी कर ले, कहीं चली जाए, या मर जाए। प्रमोद ने अपनी तहरीर में लिखा है कि मुकेश बहन को अक्सर कहता था कि वो मर क्यों नहीं जाती, और यह मानसिक दबाव सालों से जारी था।
जब सबकुछ बदल गया
30 जुलाई की दोपहर करीब 12:30 बजे प्रमोद की नितेश से फोन पर बात हुई थी। सब सामान्य लग रहा था। नितेश ने कहा कि मुकेश वाराणसी जा रहा है और वह चाहती है कि मम्मी आकर उसके साथ रहें। लेकिन तीन घंटे बाद, यानी दोपहर करीब सवा तीन बजे, नितेश की बेटी का फोन आया “आंटी, मम्मी और पापा में बहुत झगड़ा हुआ मम्मी पंखे से लटकी हुई हैं।” यह सुनकर प्रमोद के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। जब वह लखनऊ पहुंचे, तो देखा कि बहन का शव फर्श पर पड़ा है। पुलिस लाइन के ट्रांजिट हॉस्टल में भीड़ लगी थी। लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था। प्रमोद को यकीन हो चला था कि यह आत्महत्या नहीं, हत्या है और वह भी साजिश के तहत।
एएसपी पर दर्ज हुआ हत्या का केस
लखनऊ पुलिस ने इस मामले में तेजी से एक्शन लिया। प्रमोद की शिकायत के आधार पर एएसपी मुकेश सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ हत्या और उत्पीड़न का केस दर्ज किया गया है। पुलिस उपायुक्त (मध्य) आशीष श्रीवास्तव ने पुष्टि की है कि सभी आरोपों की जांच शुरू कर दी गई है। साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई तय होगी।
क्या यह पुलिसिया सत्ता का काला चेहरा है?
यह मामला सिर्फ एक हत्या या आत्महत्या का नहीं है। यह उस पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है, जिसमें एक वरिष्ठ अधिकारी के परिवार में सालों से प्रताड़ना होती रही, और किसी ने कुछ नहीं कहा। क्या सिस्टम ने आंखें मूंद ली थीं? या यह ‘अंदर की बात है’ कहकर सबकुछ दबा दिया गया? अब जबकि केस दर्ज हो चुका है, लखनऊ पुलिस पर निष्पक्ष जांच का दबाव है। लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में है क्या एक एएसपी को उसकी वर्दी बचा पाएगी? या बहन का भाई इस बार इंसाफ लेकर रहेगा?
अब निगाहें अदालत और कानून पर
प्रमोद की आवाज अब सिर्फ एक भाई की नहीं रही, बल्कि वो उन तमाम पीड़ित महिलाओं की आवाज बन चुकी है जिन्हें शादी के बाद रिश्तों में सिर्फ दर्द मिला। यह केस अब समाज की मानसिकता, वर्दी की हनक और महिला अधिकारों तीनों की असली परीक्षा है।
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