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24 घंटे में NCB का बड़ा एक्शन, अपने 3 घूसखोर इंस्पेक्टर पर की कार्रवाई, जानें क्या है मामला
लखनऊ में CBI का बड़ा एक्शन, 10 लाख की घूस लेते पकड़े गए NCB इंस्पेक्टर, एक बर्खास्त, दो निलंबित।
Lucknow NCB bribery case: ड्रग्स माफिया के खिलाफ लगातार कार्रवाई करने वाले नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी खुद ही एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले में फंस गए हैं। लखनऊ में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने एक चौंकाने वाले ऑपरेशन में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) के दो इंस्पेक्टरों को 10 लाख रुपये की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में एक तीसरे इंस्पेक्टर को भी हिरासत में लिया गया है। इस घटना के 24 घंटों के अंदर ही नारकोटिक्स विभाग ने अपने ही अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए एक इंस्पेक्टर को बर्खास्त और दो को निलंबित कर दिया है।
कैसे हुआ 'ऑपरेशन CBI'?
यह पूरा मामला तब सामने आया जब सीबीआई को एक गुप्त सूचना मिली। सूचना के अनुसार, NCB के दो इंस्पेक्टर महिपाल सिंह और रवि रंजन ने लखनऊ के देवा नर्सिंग होम के मालिक गयासुद्दीन अहमद को प्रतिबंधित दवा 'कोडीन सिरप' के एक मामले में फंसाने की धमकी दी थी। दोनों इंस्पेक्टरों ने इस मामले को रफा-दफा करने के लिए गयासुद्दीन अहमद से 10 लाख रुपये की मोटी रकम मांगी।
CBI ने जाल बिछाया और मंगलवार को दोनों इंस्पेक्टरों को 10 लाख रुपये की घूस लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 10 लाख रुपये की बरामदगी भी हुई है। इस मामले में CBI ने गयासुद्दीन अहमद और सुनील जायसवाल नाम के एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ भी केस दर्ज किया है। पूछताछ के बाद, सीबीआई ने तीसरे इंस्पेक्टर आदेश योगी को भी हिरासत में ले लिया है, जिससे इस रैकेट में और भी अधिकारियों के शामिल होने की आशंका बढ़ गई है।
NCB का तुरंत एक्शन, एक बर्खास्त, दो निलंबित
जैसे ही यह खबर नारकोटिक्स विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची, उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक कठोर संदेश देने का फैसला किया। 24 घंटों के भीतर ही आरोपी इंस्पेक्टर महिपाल सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, जबकि इंस्पेक्टर रवि रंजन और इंस्पेक्टर आदेश योगी को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई दिखाती है कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है, खासकर जब मामला देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य से जुड़ा हो।
यह घटना उन सभी ईमानदार अधिकारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो ड्रग्स माफिया के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं। इस मामले ने न केवल नारकोटिक्स विभाग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाता है कि कुछ भ्रष्ट अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए किस हद तक गिर सकते हैं। फिलहाल, सीबीआई इस मामले की गहराई से जांच कर रही है ताकि इस रैकेट में शामिल सभी लोगों को बेनकाब किया जा सके।
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