Lucknow News: वसूलीबाज पत्रकार ने ट्रैफिक पुलिस से मांगी रंगदारी... विरोध किया तो फाड़ दी वर्दी! शिकायत के बाद भी नहीं दर्ज हुई FIR

Lucknow News: लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में खुद को पत्रकार बताने वाले मनोज लोधी ने ट्रैफिक सिपाही से रंगदारी मांगी, विरोध पर वर्दी फाड़ दी। शिकायत के 24 घंटे बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की। घटना ने पुलिस सुरक्षा व फर्जी पत्रकारों के दबदबे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Hemendra Tripathi
Published on: 6 Aug 2025 9:02 PM IST
Lucknow News: वसूलीबाज पत्रकार ने ट्रैफिक पुलिस से मांगी रंगदारी... विरोध किया तो फाड़ दी वर्दी! शिकायत के बाद भी नहीं दर्ज हुई FIR
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तथाकथित या फर्जी पत्रकारों का जाल फैलता जा रहा है। कभी सरकारी काम काज में जुगाड़ तो कभी पत्रकारिता की धौस दिखाकर पुलिस विभाग में दबदबा दिखाया जाता है। अब शहर में इसी फर्जी पत्रकारिता से जुड़ा एक नया मामला लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र से सामने आया, जहां वसूली करने पहुंचे फर्जी पत्रकार की मनमानी और रंगदारी का विरोध करने पर आरोपी पत्रकार ने ट्रैफिक सिपाही की वर्दी फाड़ते हुए मारपीट की घटना को अंजाम दिया। गौर करने वाली बात ये है कि इस घटना के बाद एक ओर सोशल मीडिया पर आरोपी पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठने लगी तो वहीं दूसरी ओर शिकायत के बाद भी लखनऊ पुलिस की ओर से अभी तक न मुकदमा दर्ज किया गया और न ही कोई कार्रवाई की गई।

पत्रकार नहीं, वसूलीबाज! पुलिस पर दादागिरी का नया चेहरा

आपको बता दें कि ये पूरी घटना सुशांत गोल्फ सिटी के जलसा रिसॉर्ट के पास की है, जहां ट्रैफिक सिपाही गेंदालाल अपनी ड्यूटी पर तैनात था। तभी खुद को पत्रकार बताने वाला मनोज कुमार लोधी वहां पहुंचा और सिपाही से कथित तौर पर अवैध वसूली की मांग करने लगा। जब गेंदालाल ने इंकार किया तो उसने सरेराह उसकी वर्दी फाड़ दी और धमकी दी कि झूठे मामलों में फंसवा देगा। चश्मदीदों ने बताया कि मनोज अक्सर ट्रैफिक सिपाहियों को धमकाते हुए दिखाई देता है।

'प्रेस' की आड़ में 'प्रेशर' का खेल, पुलिस मौन

बताया जाता है कि मनोज लोधी कैमरा लिए अक्सर ट्रैफिक प्वाइंट्स पर घूमता है, जिससे वह खुद को पत्रकार साबित करता है लेकिन हकीकत में वह ट्रैफिक पुलिस से पैसे ऐंठने और दबाव बनाने के मामलों में पहले भी लिप्त रहा है। सूत्रों के मुताबिक, उसका किसी मान्यता प्राप्त मीडिया संस्थान से कोई संबंध नहीं है। सबसे चिंता की बात ये है कि सिपाही की शिकायत के बावजूद कांटे थाने की पुलिस 24 घंटे तक एफआईआर दर्ज करने से बचती रही, जिससे पूरा तंत्र कटघरे में आ गया है।

ट्रैफिक विभाग में आक्रोश, सिस्टम की चुप्पी पर सवाल

इस हमले के बाद ट्रैफिक पुलिस विभाग में भारी आक्रोश है। सिपाहियों का कहना है कि अगर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी को भी सुरक्षा नहीं मिल पा रही तो आम जनता का क्या होगा? बताया जाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस घटना की जानकारी दी गई है लेकिन अब तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। इससे साफ है कि 'फर्जी पत्रकारिता' और 'प्रशासनिक चुप्पी' का खतरनाक गठजोड़ बन रहा है। यह घटना सिर्फ एक पुलिसकर्मी पर हमला नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरी और प्रेस टैग के दुरुपयोग का जीता-जागता उदाहरण है। फर्जी पत्रकार बनकर रंगदारी मांगना, धमकाना और कानून के रक्षक को ही अपमानित करना बताता है कि अपराधी अब नए रूप में सामने आ रहे हैं। जब तक प्रशासन ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह सिस्टम पर चोट देने वाला ट्रेंड बढ़ता रहेगा।

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