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Lucknow News: विवादित सोशल मीडिया पोस्ट पर लविवि IMS असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज, छात्रों में आक्रोश, प्रो ने ऐसा क्या किया पोस्ट
Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ बनर्जी के खिलाफ आखिरकार एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
FIR against LUIMS Assistant Professor Dr Saurabh Banerjee on controversial post (Social Media)
Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज़ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ बनर्जी के खिलाफ आखिरकार एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
उन पर आरोप है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को लेकर आपत्तिजनक और अमर्यादित टिप्पणी की थी।बता दें कि इस मामले में उनके साथ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफसर डॉ. बनर्जी की पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होते ही छात्रों में भारी आक्रोश फैल गया। बीजेपी की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया और सख्त कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 30 अप्रैल को डॉ. बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें पांच दिन में जवाब देने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि, विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक कोई ठोस अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र ने दर्ज कराई एफआईआर
इस मामले को लेकर मंगलवार को जानकीपुरम थाने में लखनऊ विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस के छात्र अभिनाथ सिंह की ओर से दी गई तहरीर पर एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 197 (1), 299 और 353 (2) के तहत की गई है।छात्र ने आरोप लगाया है कि प्रोफेसर ने आतंकवादी हमले जैसे गंभीर विषय पर भी राजनीतिक एजेंडा साधने की कोशिश की है, जो न केवल आपत्तिजनक बल्कि हिंदू विरोधी भी है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
वही वही इस पूरे मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि नोटिस जारी होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है। इससे छात्रों और समाज के अन्य वर्गों में नाराजगी और बढ़ गई है। अब निगाहें विश्वविद्यालय की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं।
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