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lucknow: रविंद्रपल्ली में लगे दुर्गा पंडाल में महा अष्टमी के अवसर पर धुनिचि नृत्य करते श्रद्धालु
Lucknow: लखनऊ में बद्रीनाथ धाम की थीम पर आधारित रवींद्रपल्ली का दुर्गा पंडाल अपनी भव्य सजावट और पारंपरिक धुनुची नृत्य के कारण श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया है।
lucknow durga pooja credit- Ashutosh Tripathi
Lucknow News: नवरात्र के अवसर पर लखनऊ में चारों तरफ दुर्गापूजा की धूम मची है। हर गली मोहल्ले में दुर्गापूजा के पंडाल सजे हुए हैं। जिसमें तमाम इतने भव्य हैं जिन्हें देखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं। नवाबों के शहर लखनऊ की गंगा जमुनी संस्कृति और तहजीब के बारे में वैसे तो सब कहीं चर्चा होती है लेकिन इन दिनों ये शहर माता रानी की भक्ति में डूबा हुआ है। दुर्गा पूजा महोत्सव की धूम मची हुई है, लेकिन इस उत्सव में सबसे खास और मनमोहक दृश्य रवींद्र पल्ली में देखने को मिल रहा है। रवींद्र पल्ली का पंडाल इस साल अपनी अलौकिक सज्जा और भव्यता के कारण शहर भर के भक्तों और कला प्रेमियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है।
शाम ढलते ही यहाँ का नज़ारा पूरी तरह बदल जाता है। पंडाल को किसी अद्वितीय थीम पर कुछ इस खास अंदाज़ में सजाया गया है कि चारों ओर की रौनक देखते ही बनती है। झिलमिलाती रोशनी, बारीक कारीगरी और पारंपरिक कलाकृतियों का संगम माँ दुर्गा की प्रतिमा के आस-पास एक स्वर्गिक अनुभूति पैदा कर रहा है। यह सांस्कृतिक केंद्र अब केवल रवींद्र पल्ली निवासियों तक सीमित नहीं है। पंडाल की भव्यता और सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक फैल चुकी है, जिसके चलते श्रद्धालु और दर्शक दूर-दराज के इलाकों से भी इस शानदार दृश्य का साक्षी बनने और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भारी संख्या में उमड़ रहे हैं।
भक्ति, उल्लास और सामुदायिक मेल-जोल का यह अनूठा संगम रवींद्र पल्ली को इस वर्ष लखनऊ के दुर्गा पूजा उत्सवों का 'स्टार अट्रैक्शन' बना चुका है। लखनऊ में रवीन्द्र पल्ली दुर्गा पूजा पंडाल (Rabindra Palli Durga Puja Pandal) बद्रीनाथ धाम की थीम पर आधारित है, जिसमें भव्य सजावट देखने को मिल रही है और यह लगभग बनकर तैयार है। यह पंडाल रवीन्द्र पल्ली के पूजा पार्क में स्थित है और इसे बनाने में लोहे की छड़ों का इस्तेमाल किया गया है, जो आग न पकड़ने के कारण सुरक्षित मानी जाती हैं।
पंडाल की मुख्य बातें:
बद्रीनाथ धाम की थीम पर आधारित, जो भव्यता और सौंदर्य का अनुभव कराती है। यह पंडाल रवीन्द्र पल्ली स्थित पूजा पार्क में बनाया गया है। पिछले साल की तुलना में, इस साल बांस की जगह लोहे की छड़ों का उपयोग किया गया है। लोहे की छड़ों का इस्तेमाल इसे अधिक सुरक्षित बनाता है, क्योंकि यह न तो आग पकड़ती हैं और न ही धंसती हैं। लखनऊ के रविंद्रपल्ली दुर्गा पंडाल में महाष्टमी के अवसर पर श्रद्धालुओं ने उत्साह और भक्ति से धुनुची नृत्य किया। माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के उद्देश्य से किए गए इस पारंपरिक नृत्य ने पूरे पंडाल का माहौल भक्तिरस से सराबोर कर दिया। ढाक की थाप और धुनुची से उठती धूप की सुगंध ने वातावरण को और पावन बना दिया। महिलाएँ और पुरुष दोनों ही पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर देर तक थिरकते रहे। दर्शकों ने भी इस अद्भुत नज़ारे का भरपूर आनंद लिया। आयोजन समिति ने बताया कि महाष्टमी का यह विशेष कार्यक्रम भक्तों की आस्था और परंपरा को जीवंत बनाए रखने के लिए आयोजित किया जाता है।
क्या है धुनुची नृत्य?
धुनुची डांस एक बेहद अनूठा नृत्य है, जिसे दुर्गा पूजा के दौरान खासतौर से किया जाता है। यह एक पारंपरिक नृत्य है जिसमें नर्तक एक धुनुची नामक बर्तन को अपने सिर पर संतुलित करते हुए नृत्य करते हैं। धुनुची मिट्टी का बना एक बर्तन होता है, जिसमें धूप, नारियल की जटाएं और अन्य हवन सामग्रियां जलाई जाती हैं, जिससे बड़ी लुभावनी खुशबू आती है। ऐसा माना जाता है कि इस सुगंध से देवी प्रसन्न होती हैं। इसलिए देवी के सामने धुनुची नृत्य किया जाता है।
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