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Lucknow News: फोन पर साया बनी अंजान महिला! रिटायर्ड फौजी से मांगी 1 करोड़ की फिरौती, दी धमकी- 'पैसे नहीं दिए तो झूठे केस में फंसा दूंगी'
Lucknow News: महिला उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी भी देती रही। आखिरकार उन्होंने हिम्मत जुटाकर थाने में शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।
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Lucknow News: देश के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित करने वाले एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर आज खुद सिस्टम और साइबर अपराध के खिलाफ न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र के रहने वाले रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर आई.पी. सिंह को बीते दो महीने से एक अंजान महिला फोन पर परेशान कर रही है। वह खुद को अनविल श्रीवास्तव बताकर बार-बार जान से मारने की धमकी दे रही है और 1 करोड़ रुपये की फिरौती मांग रही है। आरोप है कि महिला उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी भी देती रही। आखिरकार उन्होंने हिम्मत जुटाकर थाने में शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, पूरे सिस्टम की असुरक्षा और बुजुर्गों की बेबसी को उजागर करती है।
सिस्टम के भरोसे टूटा फौजी: 2 महीने तक सहता रहा धमकियां
लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र के रहने वाले रिटायर्ड आर्मी अफसर आई.पी. सिंह ने अपनी तहरीर में बताया कि उन्होंने अपने मोबाइल नंबर पर आ रही संदिग्ध कॉल्स को शुरुआत में नजरअंदाज किया। लेकिन जब इन कॉल्स में 1 करोड़ की फिरौती मांगने के साथ जान से मारने और झूठे केस में फंसाने की धमकियां मिलने लगीं तो उन्होंने मामला गंभीरता से लिया। बताया जाता है कि आरोपी महिला खुद को अनविल श्रीवास्तव बताकर अलग-अलग नंबरों से फोन करती थी। इस मानसिक उत्पीड़न ने न सिर्फ अफसर को बल्कि उनके पूरे परिवार को डरा कर रख दिया।
फिरौती, फर्जी मुकदमा और टॉर्चर: महिला कॉलर का साइबर गेम
महिला कॉलर के तरीके बेहद सोचे-समझे और साइकोलॉजिकल टॉर्चर जैसे हैं। वह बार-बार पहचान छुपाकर अलग-अलग सिम से फोन करती, बातों में डर पैदा करती, और पैसे की डिमांड करती। 1 करोड़ की फिरौती मांगते हुए वह कहती कि 'अगर पैसे नहीं दिए तो तुम और तुम्हारा परिवार सलाखों के पीछे होगा।' रिटायर्ड अफसर का आरोप है कि यह कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं बल्कि संगठित साइबर अपराध हो सकता है। इस पहलू से पुलिस ने अब जांच तेज कर दी है।
पुलिस ने दर्ज की FIR लेकिन साइबर सिस्टम पर सवाल
आशियाना पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर धारा 308(2) और 351(4) में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब साइबर सेल को भी जोड़ा गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर एक रिटायर्ड सेना अधिकारी दो महीने तक बार-बार परेशान होता रहा और पुलिस तक मामला नहीं पहुंचा तो आम नागरिक की सुरक्षा की स्थिति क्या होगी? यह केस बुजुर्गों और पूर्व सैनिकों की साइबर सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़े करता है।
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