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Ground Report: पिछले साल से अच्छी हो रही आम की फसल, महंगी कीटनाशक दवाइयों से परेशान हैं मलिहाबाद के किसान, पढ़े पूरी रिपोर्ट-
Lucknow News: मलिहाबाद व उसके आसपास के इलाकों में किसानों की इस सीजन में हो रही आम की फसल से काफी उम्मीदें देखने को मिलीं लेकिन दूसरी ओर किसान बे-मौसम बारिश और फिर फलों में लगने वाले कीड़े से परेशान दिखे।
Mango crop is getting better than last year Malihabad farmers are troubled by expensive pesticides read full report
Lucknow News: गर्मी का मौसम आते ही आम का सीजन भी शुरू हो जाता है, ऐसे में अलग अलग वैरायटी के आमों की पैदावार किसान अपनी बागों में करते हैं। इस आम के सीजन में लखनऊ के मैंगो बेल्ट कहे जाने वाले मलिहाबाद में किसानों की तैयारी है, क्या शिकायतें हैं, क्या जरूरतें हैं... इन सभी विषयों की पड़ताल करने Newstrack की टीम मंगलवार को मलिहाबाद व उसके आसपास के इलाकों में पहुंची। इस दौरान किसानों की आम की फसल से काफी उम्मीदें देखने को मिलीं लेकिन दूसरी ओर किसान बे-मौसम बारिश और फिर फलों में लगने वाले कीड़े से परेशान दिखे।
आंधी पानी और कीड़े से परेशान दिखे किसान विनोद
मलिहाबाद के मधुआपुर गांव के रहने वाले किसान विनोद बताते हैं कि उनकी बाग में 60 से 70 पेड़ मौजूद हैं। जिनमें लखनौआ, लंगड़ा व देसी समेत अन्य 2 से 3 वैरायटी के आम के पेड़ मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि इस बार बौर अच्छा आने से आम की फसल अच्छी हुई है लेकिन बेमौसम बारिश और हाल ही में आंधी तूफान में उनका काफी नुकसान हुआ। जो पेड़ आमों से लदे हुए थे, उन पेड़ों के काफी आम बिना पके ही टूट कर गिर गए। उन्होंने बताया कि कच्चे आमों पर कीड़ों की भरमार है, ऐसे में दवाइयों के छिड़काव से जितना बचाया जा सकता है, उतना बचा रहे हैं और इन सबके बीच जितने आम बच रहे हैं, उन्हें तेजी से बाजारों में भिजवाया जा रहा है, जिससे थोड़ा बहुत मुनाफा या दवाइयों का खर्च निकल सके।
12 बीघे में फैले चौसा और दशहरी के पेड़, रुजी और भुनगा से परेशान किसान
मलिहाबाद क्षेत्र में थोड़ा आगे बढ़े तो मालिहाबाद के हिमरापुर गांव के रहने वाले नाजिम मिले। उन्होंने बताया कि उनकी 12 बीघे में आम की बाग फैली है, जिसमें चौसा और दरहरी आम के पेड़ लगे हैं। उनका कहना है कि इस बार की फसल पिछली बार से ठीक हुई है लेकिन कीड़ों की वजह से फसल का काफी नुकसान हुआ है। भुनगा, कीड़ा, रुजी और गालमीच की दिक्कतों से आम सही ढंग से विकसित होने से ही खराब हुआ जा रहा है। गालमीच आमों को भीतर से नुकसान पहुंचाने का काम कर रहा है। कीड़ों से बचाव के लिए अच्छे अच्छे आमों को कवर किया जा रहा है।
पहले एक दवाई से ही होता था काम, अब हर कीड़े की कम्पनी बना रही अलग दवा
बातचीत के दौरान मलिहाबाद और माल क्षेत्र में आम की बाग चलाने वाले कई किसानों ने कहा कि आम में कीड़ों की दिक्कतें तो हर साल होती हैं लेकिन इस बार ज्यादा देखने को मिल रही है। इन कीड़ों से बचाव के लिए जब किसान दवाइयां लेने जाता है तो अलग अलग कम्पनियां अपनी अलग अलग दवाइयों को बेहतर बताकर मुनाफा कमाती हैं लेकिन किसानों को उससे कोई लाभ नहीं मिलता है। उनका कहना है कि पहले हर कीड़े की एक दवा आती थी लेकिन अब हर कीड़े के लिए अलग अलग दवाएं और वो भी पिछले साल के मुकाबले दोगुने रेट पर मिल रही हैं, जिससे किसानों बिना लाभ के सिर्फ नुकसान उठा रहा है।
सरकार से की अपील, विश्वसनीय दवाइयों का निर्धारित करें शुल्क
किसानों का कहना है कि मार्केट में अब कीड़े मारने दवाइयां बनाने वाली कई कम्पनियां आ गयी हैं और सभी खुद के बेहतर होने का दावा करती हैं। किसान उन दवाइयों को महंगे दामों में खरीदकर पानी की मदद से पैसा और समय दोनों लगाकर छिड़काव करता है लेकिन उससे कोई लाभ नहीं मिलता। ऐसे में फसल के नुकसान के साथ साथ पैसों का नुकसान भी सिर्फ किसान को भोगना पड़ता है। किसानों ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि वो कीड़े मारने वाली विश्वसनीय दवाइयां बाजार में लाएं और उसका कम से कम शुल्क रखें, जिससे किसान आसानी से उन दवाइयों को खरीदकर अपने आम के पेड़ बचा सकें और नुकसान होने पर सरकार से ही सवाल भी कर सकें।
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