BBAU में 'जेनेटॉक्सिकोलॉजी' पर विशेष व्याख्यान, वैज्ञानिकों और छात्रों को उन्नत तकनीकों की मिली जानकारी

कार्यक्रम के दौरान टेक्नोसाइंट, जयपुर के जूनियर इंजीनियर अविनाश पांडे ने जेनेटॉक्स फोटोमीटर का प्रदर्शन किया।

Virat Sharma
Published on: 24 July 2025 6:53 PM IST
Lucknow News
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Special Lecture on Genotoxicology at BBAU

Lucknow Toady News: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू), लखनऊ के विश्वविद्यालय वैज्ञानिक उपकरण केंद्र (यूएसआईसी) में गुरूवार को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम केंद्र के निदेशक/प्रभारी प्रो. डॉ. भूपेन्द्र यादव के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल के डॉ. एसकेएस राठौर और टेक्नोसाइंट, जयपुर के जूनियर इंजीनियर अविनाश पांडे ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

एक नई दिशा में शोध की संभावनाएं

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सीएसआईआर-एएमपीआरआई, भोपाल के डॉ. एसकेएस राठौर का जेनेटॉक्सिकोलॉजी' पर व्याख्यान था। इस विषय में उन्होंने प्रतिभागियों को जेनेटॉक्सिकोलॉजी के सिद्धांतों, प्रयोगात्मक तकनीकों और इसके अनुसंधान में उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. एसकेएस राठौर ने इसे आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और उभरता हुआ क्षेत्र बताया।

जेनेटॉक्स फोटोमीटर का प्रदर्शन

कार्यक्रम के दौरान टेक्नोसाइंट, जयपुर के जूनियर इंजीनियर अविनाश पांडे ने जेनेटॉक्स फोटोमीटर का प्रदर्शन किया। उन्होंने उपकरण के कार्य-प्रणाली, उसकी तकनीकी विशेषताओं और विभिन्न विश्लेषणात्मक मॉड्यूल्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह प्रदर्शन उपस्थित शोधार्थियों और छात्रों के लिए अत्यधिक लाभकारी रहा, क्योंकि इसे लेकर काफी रुचि देखी गई।

कार्यक्रम का उद्देश्य और लाभ

यह विशेष व्याख्यान कार्यक्रम विश्वविद्यालय के शोधार्थियों, छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और शोधकर्ताओं को उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों और शोध विधियों से परिचित कराना था, ताकि वे अपने अनुसंधान कार्य को और अधिक सशक्त बना सकें। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।

आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के बारे में मिली जानकारी

यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्यों को तकनीकी रूप से समृद्ध करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ है, और इससे छात्रों को न केवल आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के बारे में जानकारी मिली, बल्कि उन्हें शोध की नई विधियों से भी परिचित होने का अवसर मिला।

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