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लखनऊ में 'द डर्टी स्काई' की स्पेशल स्क्रीनिंग, शुभांशु शुक्ला के माता-पिता भी देखने पहुंचे फिल्म
लखनऊ में ‘द डर्टी स्काई’ डॉक्यूमेंट्री की स्पेशल स्क्रीनिंग हुई, जिसमें अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के माता-पिता भी पहुंचे। फिल्म ने अंतरिक्ष मलबे और केसलर सिंड्रोम जैसे खतरों पर जागरूकता फैलाई।
The Dirty Sky movie special screening in Lucknow: लखनऊ में गुरुवार को अंतरिक्ष और विज्ञान के प्रेमियों के लिए एक अनोखा अनुभव रहा। शहर के नॉवेल्टी सिनेमा में 'The Dirty Sky' नामक एक खास डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। यह फिल्म अंतरिक्ष यात्रा, संभावित हादसों और सबसे महत्वपूर्ण, अंतरिक्ष के मलबे के बढ़ते खतरे पर आधारित थी। इस फिल्म की स्क्रीनिंग को और भी खास बनाने के लिए अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला के माता-पिता भी मौजूद थे। इस मौके पर बड़ी संख्या में छात्र और स्पेस टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी फिल्म देखने पहुंचे।
'द डर्टी स्काई': 'अंतरिक्ष' का 'काला सच'
ओपी श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी यह 75 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म दर्शकों के लिए एक आँखें खोलने वाला अनुभव थी। फिल्म ने 2009 में हुई एक बड़ी अंतरिक्ष दुर्घटना (Iridium और Kosmos-2251 उपग्रहों की टक्कर) को एक 'टर्निंग पॉइंट' के रूप में दिखाया। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि अंतरिक्ष में तैरता हुआ मलबा कितना खतरनाक हो सकता है और यह भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
फिल्म का मुख्य उद्देश्य छात्रों, नीति निर्धारकों और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े लोगों तक इस खतरे के बारे में जागरूकता फैलाना है।
'समस्या' और 'समाधान' पर गंभीर चर्चा
'The Dirty Sky' सिर्फ समस्या को नहीं दिखाती, बल्कि संभावित तकनीकी समाधानों पर भी विस्तार से चर्चा करती है। फिल्म में अंतरिक्ष के मलबे को साफ करने के लिए कई तकनीकों पर प्रकाश डाला गया है, जैसे:
Space tugs: मलबे को खींचकर कक्षा से बाहर निकालने वाले यान।
Robotic arms: रोबोटिक भुजाएं जो मलबे को पकड़कर हटा सकती हैं।
Laser deflection: लेजर बीम का उपयोग करके मलबे की दिशा बदलना।
Nets: मलबे को पकड़ने के लिए खास जाल।
ये सभी समाधान दिखाते हैं कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिक कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं।
'केसलर सिंड्रोम' का 'खतरा'
फिल्म का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह था कि इसने 'केसलर सिंड्रोम' जैसी खतरनाक स्थिति की चेतावनी दी। यह एक ऐसी स्थिति है जहां मलबे के एक टुकड़े के टकराने से और मलबा बनता है, और फिर यह एक तरह की 'बर्बादी की श्रृंखला' शुरू हो जाती है, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा लगभग असंभव हो सकती है। इस पर अभी वैश्विक स्तर पर कोई ठोस नियम नहीं हैं, जो एक चिंता का विषय है। यह फिल्म हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जब हम अंतरिक्ष में अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं, तो हमें इसके पर्यावरण की भी उतनी ही चिंता करनी चाहिए।
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