Mahoba News: बारिश में भी भीगे किसान, डीएपी के साथ जबरन बेची जा रही नैनो यूरिया

Mahoba News: महोबा में बारिश के बीच खाद के लिए घंटों लाइन में खड़े रहे किसान, डीएपी के साथ नैनो यूरिया खरीदने की जबरन शर्त से भड़के, सचिव पर कालाबाजारी का आरोप।

Imran Khan
Published on: 27 Oct 2025 8:03 PM IST
Farmers soaked in rain, nano urea being forcefully sold with DAP
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 बारिश में भी भीगे किसान, डीएपी के साथ जबरन बेची जा रही नैनो यूरिया (Photo- Newstrack)

Mahoba News: देश का अन्नदाता जब खेतों के लिए खाद की तलाश में बारिश में भी भीगते हुए लाइन में खड़ा हो, तो यह दृश्य किसी भी संवेदनशील दिल को झकझोर देता है। ऐसा ही दर्दनाक नजारा महोबा जनपद के पचपहरा बहुउद्देशीय प्राथमिक ग्रामीण सहकारी समिति में देखने को मिला, जहां सोमवार सुबह से हो रही बारिश के बावजूद सैकड़ों किसान खाद के लिए घंटों तक लाइन में खड़े रहे। जहां किसानों को डीएपी खाद के साथ नैनों यूरिया की बोतल लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है। किसानों ने सोसायटी सचिव पर खाद कालाबाजारी का भी आरोप लगाया है।

भीगी पगडंडियों पर फिसलते कदम, सिर पर बोरा, भीगे कपड़े और आंखों में उम्मीद की किरण,यह दृश्य बताता है कि किसान अपने हक की खाद पाने के लिए कितनी जद्दोजहद कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि समिति के कर्मचारी उन्हें बेवजह लाइन में खड़ा रखते हैं और जब बारी आती है, तो हर दो बोरी डीएपी खाद के साथ 600 रुपये कीमत की नैनो यूरिया की एक बोतल जबरन दी जा रही है।किसानों का आरोप है कि यदि कोई किसान नैनो यूरिया खरीदने से मना करता है, तो समिति सचिव उसे डीएपी खाद देने से साफ इंकार कर देता है।

इस जबरन बिक्री ने किसानों के बीच भारी आक्रोश फैला दिया है।पचपहरा निवासी किसान मुकेश और सुगंध राजपूत ने बताया कि उसे खेतों के लिए डीएपी खाद की जरूरत थी, इसलिए वह सुबह से लाइन में लगा है। बारिश में भीगते हुए भी वह खाद लेने की उम्मीद में खड़ा है। लेकिन समिति में अव्यवस्था और मनमानी का आलम यह है कि बिना नैनो यूरिया खरीदे कोई किसान खाद नहीं ले पा रहा।

तेज बारिश और अफरातफरी के बीच यह हालात साफ दर्शाते हैं कि किसानों के साथ किस तरह की लापरवाही और जबरदस्ती की जा रही है। एक ओर सरकार किसानों के हित में योजनाओं की बात करती है, वहीं दूसरी ओर सहकारी समितियों की यह कार्यशैली उन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। किसान जगतरानी, जितेंद्र, महेश आदि का कहना है कि पिछले एक माह से खाद पाने के लिए सोसायटी के चक्कर लगा रहे है। घंटों लाइन में लगने के बाद भी एक बोरी खाद नहीं मिल पाती। टोकन वितरण के बाद भी खाद नहीं दी जाती।

गोदाम ने भरपूर खाद होने के दावे है मगर सी बुवाई के समय खाद न मिल पाना व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े करता है। बेबौसम बारिश से हम किसान पहले से ही अपनी बुवाई को लेकर पिछड़ रहे है उस पर खाद की कमी सबसे अधिक परेशान कर रही है जिसको लेकर न तो प्रशासन गंभीरता दिखा रहा है और न शासन ध्यान दें रहा है। सुबह से बारिश से बचते हुए लंबी लाइन न लगने के बावजूद भी हम किसानों को खाद नहीं मिली।

किसानों ने प्रशासन से समिति की जांच कराने और जबरन नैनो यूरिया बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि किसान का दर्द सिर्फ किसान ही समझ सकता है, लेकिन जब उसे अपने ही हक की चीज़ के लिए तरसना पड़े, तो यह व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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