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Moradabad: DMR अस्पताल पर बड़ा विवाद, सील के बाद भी जारी निर्माण
एमडीए रिकॉर्ड में सील, पर ज़मीन पर तेज़ी से जारी निर्माण; अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप
Moradabad News (Image from Social Media
Moradabad News: सिविल लाइंस स्थित डॉ. मंजेश राठी के निर्माणाधीन बहुचर्चित DMR नर्सिंग अस्पताल को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों के हवाले से यह खुलासा हुआ है कि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) के रिकॉर्ड में इस अवैध निर्माण को सील दिखाया गया है, जबकि ज़मीन पर लगातार निर्माण कार्य तेज़ी से जारी है।
'कागज़ों में सील, ज़मीन पर निर्माण'
सूत्रों के मुताबिक, DMR अस्पताल को वास्तव में सील नहीं किया गया था, बल्कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों ने 'बाजीगरी' करते हुए केवल सील किए जाने का एक नोटिस चस्पा कर दिया था। इस मिलीभगत का फायदा उठाकर डॉ. मंजेश राठी बेखौफ होकर अस्पताल का निर्माण करा रहे हैं, जहां लगभग 60-70 मजदूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं।
यह पूरा मामला नजूल की ज़मीन पर अवैध निर्माण से जुड़ा है। सिविल लाइंस के ग्राम छावनी की नजूल लैंड संख्या 470 की ज़मीन पर यह अस्पताल बन रहा है। डॉ. मंजेश राठी का दावा है कि उनके पास सभी विभागों की NOC है और वह भूखंड संख्या की फ्री होल्ड हुई 2710 वर्ग मीटर ज़मीन पर निर्माण करा रहे हैं।
नजूल ज़मीन पर फर्जीवाड़ा?
हालांकि, प्राधिकरण के एक विश्वसनीय सूत्र के अनुसार, यह पूरा दावा 'झूठ की चाशनी में लिपटा' हुआ है। सूत्र बताते हैं कि डॉ. राठी ने कथित तौर पर प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से नजूल की फ्री होल्ड भूमि की फर्जी एनओसी बनवाई और सरकारी नजूल ज़मीन पर लगभग 6000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में बहुमंजिला अस्पताल का निर्माण शुरू कर दिया।
नजूल रिकॉर्ड के अनुसार, भूखंड संख्या 470 का कुल रकबा 4.95 एकड़ है। इसमें 2714 वर्ग मीटर भूमि फ्री होल्ड है, जबकि शेष 17,318 वर्ग मीटर सरकारी नजूल भूमि है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉ. मंजेश जिस ज़मीन पर अस्पताल बना रहे हैं, वह फ्री होल्ड एरिया नहीं है, बल्कि फ्री होल्ड एरिया इस ज़मीन के पीछे है, जिस पर पहले से ही निर्माण है।
फाइल गायब होने और जांच की चर्चा
प्रकरण की गंभीरता इस बात से बढ़ जाती है कि DMR अस्पताल की फाइल प्राधिकरण के कार्यालय में नियत स्थान पर नहीं मिल रही है, जिसके पीछे एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा फाइल दबाने की चर्चा है।
इस मामले में जब MDA के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उपाध्यक्ष प्राधिकरण ने खुद को अनभिज्ञ बताते हुए अधिशासी अभियंता से बात करने को कहा। अधिशासी अभियंता ने इस पर चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि यह सब सुपरवाइजर और जूनियर इंजीनियर की मिलीभगत से हुआ है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जा रही है और जल्द ही सच्चाई सामने आने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण और नगर निगम की चुप्पी के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की रहस्यमय चुप्पी भी आमजनमानस में तरह-तरह की चर्चाओं को जन्म दे रही है।
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