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Prayagraj News: अस्पताल नहीं शवगृह, जनता की लाशों पर कमाई, SRN अस्पताल की बदहाली सुधारने को 48 घंटे, वरना जेल जाने को रहें तैयार
Prayagraj News: कोर्ट ने 48 घंटे की समय सीमा निर्धारित करते हुए कहा है कि अस्पताल की व्यवस्था सुधारें या अफसर जेल जाने को तैयार हो जाएं।
Prayagraj News
Prayagraj News: उत्तर प्रदेश में स्थित प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से संबद्ध स्वरूप रानी नेहरू (SRN) अस्पताल की बदहाली पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए शासन प्रशासन के प्रति कठोर टिप्पणी करते हुए कहा है कि मंत्री, सांसद, विधायक मौन हैं, आम आदमी दवा माफिया के चंगुल में फंसा है। सरकारी अस्पताल के डाक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस से जनता की लाशों पर मुनाफा कमा रहे हैं। कोर्ट ने 48 घंटे की समय सीमा निर्धारित करते हुए कहा है कि अस्पताल की व्यवस्था सुधारें या अफसर जेल जाने को तैयार हो जाएं। 29 मई को अगली सुनवाई होगी। अस्पताल की स्थिति से अदालत इतना क्षुब्ध हो गई कि उसने कह दिया इसे 'अस्पताल नहीं, बल्कि शवगृह कहना ज़्यादा उचित होगा'।
कोर्ट ने अधिकारियों को किया तलब
शुक्रवार को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर सख्त आदेश जारी किए। उन्होंने जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO), अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) और इंचार्ज अधीक्षक को दोपहर 2:30 बजे व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया। यह आदेश डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें अस्पताल की दयनीय स्थिति को उजागर किया गया था। जिस पर यह सभी लोग सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए।
न्यायमित्रों की रिपोर्ट ने खोली पोल
इससे पहले, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल द्वारा पेश की गई 'सुधरी हुई स्थिति' की रिपोर्ट को कोर्ट ने अविश्वसनीय पाया था। इसके बाद, 8 मई को अधिवक्ता ईशान देव गिरि और प्रभूति कांत त्रिपाठी को न्यायमित्र नियुक्त किया गया ताकि अस्पताल की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके। न्यायमित्रों द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट ने अस्पताल की बदहाली की पोल खोल दी।
रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां सामने आईं, जिनमें एयर कंडीशनिंग सिस्टम का काम न करना, आवश्यक दवाओं की कमी और मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार शामिल हैं। इन दावों की पुष्टि के लिए कोर्ट में एक पेनड्राइव में वीडियोग्राफी भी प्रस्तुत की गई, जिसे रजिस्ट्रार जनरल को सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया।
चौंकाने वाली कमियां उजागर
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 14 मई को सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर ऑर्थोपेडिक ओपीडी में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। ऑपरेशन थिएटर की स्थिति और भी चिंताजनक थी, जहाँ एनेस्थीसिया ट्रॉली, मॉनिटर, ऑपरेशन टेबल, सी-आर्म मशीन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम जैसी बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं थीं। इसके अलावा, दोपहर 2 बजे के बाद ऑपरेशन थिएटर में कोई सर्जरी होते नहीं पाई गई।
'शवगृह' बना अस्पताल, मेडिकल माफिया का बोलबाला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रयागराज 'मेडिकल माफिया के चंगुल में फंसा है' और माफिया के दलाल आम आदमी को प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंचाते हैं। अदालत ने सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। न्यायमित्र की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख हुआ कि अस्पताल परिसर में निजी डायग्नोस्टिक सेंटर के दलाल घूमते पाए गए, जो मरीजों को बाहर ले जाकर जांच करवाते हैं।
महाकुंभ 2025 को लेकर चिंता
कोर्ट ने महाकुंभ 2025 के दौरान 6.6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन का भी जिक्र किया और कहा कि चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से विफल रही। सौभाग्य से कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई, वरना हालात बेहद भयावह हो सकते थे। अदालत ने कहा कि निजी मेडिकल माफिया और सरकारी डॉक्टरों की मिलीभगत ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को जर्जर बना दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार और प्रयागराज के जनप्रतिनिधियों पर भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन न करने का आरोप लगाया, जिससे जनता को निजी अस्पतालों में अत्यधिक खर्च उठाना पड़ रहा है।
प्रशासन को दिए गए सख्त निर्देश
इस मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होगी, जिसमें अस्पताल के अधीक्षक, डिप्टी एसआईसी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य की गई है। कोर्ट ने प्रशासन को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं: नगर आयुक्त: अस्पताल की साफ-सफाई 48 घंटे में पूरी कराएं, अस्पताल के अधिकारी इसमें सहयोग करें।
जिलाधिकारी डॉक्टरों की ओपीडी का समय अखबारों में प्रकाशित कराएं। अस्पताल के सभी सीसीटीवी कैमरों की मरम्मत की जाए। निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की निगरानी के लिए टीम गठित की जाए। अस्पताल परिसर के आसपास अवैध मेडिकल दुकानों पर कार्रवाई की जाए। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के परिसर के मैदान को शादी या निजी समारोहों के लिए देने पर रोक लगे।
जन औषधि केंद्र: सुबह 8 से शाम 6 बजे तक खुले रहें।
अस्पताल प्रशासन: ओपीडी के समय मेडिकल कंपनियों के प्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगे।
पुलिस आयुक्त: अस्पताल को पर्याप्त संख्या में पुलिस बल उपलब्ध कराएं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल की बदहाल स्थिति में सुधार आएगा और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ मिलेंगी।
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