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UP की डिजिटल राजनीति में 'क्षत्रिय भौकाल', रेल दिया जाएगा और दबदबा बना रहेगा... मायावती की भी तूफानी एंट्री
UP Leaders in Social Media: यूपी की राजनीति अब सिर्फ लाठी-डंडे या रैलियों की मोहताज नहीं रही। सोशल मीडिया पर रील, डायलॉग और धमक से भी चुनावी माहौल गरमाया जा सकता है
UP Leaders in Social Media: उत्तर प्रदेश की राजनीति अब सिर्फ सड़कों, सभाओं और नारों तक सीमित नहीं रही। असली मुकाबला अब मोबाइल स्क्रीन पर है रील्स, पोस्ट और ट्रेंडिंग साउंड पर। इस डिजिटल जंग में सबसे ज़्यादा भौकाल जमाया है ठाकुर यानी क्षत्रिय नेताओं ने। राजा भैया से लेकर बृजभूषण, बृजेश सिंह, धनंजय सिंह और अभय सिंह तक सबके फैन पेज, वीडियो और डायलॉग सोशल मीडिया पर युवाओं के बीच नए आइकन बन चुके हैं। इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे डिजिटल मैदानों में भी लड़ी जा रही है। और यहां सबसे ज्यादा भौकाल बना रखा है ठाकुर यानी क्षत्रिय नेताओं ने।
राजा भैया से लेकर बृजभूषण तक, भौकाल ऑन स्क्रीन
प्रतापगढ़ के राजा भैया हों या कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह, माफिया से नेता बने बृजेश सिंह, बाहुबली धनंजय सिंह या सुल्तानपुर के अभय सिंह इन नेताओं के फैन पेज सोशल मीडिया पर गदर मचा रहे हैं। युवाओं के बीच इन नेताओं की छवि 'रॉबिनहुड' जैसी बनती जा रही है। जिस तरह सोशल मीडिया पर लोगों की संख्या बढ़ रही उसी तरह राजनेता भी अपना भौकाल अब सड़कों से डिजिटल प्लेटफॉर्म में दिखा रहे हैं।
"दबदबा था, है, बना रहेगा" साउंडट्रैक से ब्रांडिंग तक
बता दें कि इन नेताओं के पोस्ट पर "दबदबा था, है, बना रहेगा" और "रेल दिया जाएगा" जैसे डायलॉग और गाने आम हो चुके हैं। इनका इस्तेमाल सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी बन गया है। भोजपुरी गानों को क्रेज इस कदर बढ़ गया है कि लोग खासकर यूपी के युवाओं का रुतबा तो देखते ही बनता है। राजनेता भी इन गानों के साथ अपनी रील्स और पोस्ट शेयर करवा रहे हैं।
अखिलेश और मायावती भी कर रहे डिजिटल ताकत का इस्तेमाल
सिर्फ ठाकुर नेता ही नहीं, बल्कि अखिलेश यादव, मायावती और दूसरे बड़े नेता भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। मगर फर्क यह है कि राजा भैया जैसे नेता के फैन पेज पर लोग वीडियो देखकर तालियां बजाते हैं, जबकि बाकी नेता अब भी प्रेस कॉन्फ्रेंस और बयानों तक सीमित नजर आते हैं।
क्षत्रिय क्रेज: सिर्फ जाति नहीं, ब्रांडिंग भी
यूपी की युवा पीढ़ी अब सोशल मीडिया पर नेताओें को सिर्फ जातीय पहचान से नहीं, बल्कि उनकी स्टाइल, डायलॉग और 'दमदार' छवि से जोड़ती है। ठाकुर नेताओं ने इस 'ब्रांडिंग' को हथियार बना लिया है।
राजनीति का नया रण: डिजिटल भौकाल
यूपी की राजनीति अब सिर्फ लाठी-डंडे या रैलियों की मोहताज नहीं रही। सोशल मीडिया पर रील, डायलॉग और धमक से भी चुनावी माहौल गरमाया जा सकता है और इसमें ठाकुर नेताओं की तूती बोल रही है। यूपी के दिग्गज नेता सोशल मीडिया को नया मैदान बना चुके हैं, जहां पावर का प्रदर्शन सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि स्टाइल, साउंड और सिग्नेचर डायलॉग से होता है।
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