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वह सेवक हैं मालिक नहीं...नेहा सिंह राठौर ने सरकार और प्रधानमंत्री से लगायी सवालों की झड़ी
Neha Singh Rathore News: नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर काफी लंबा पोस्ट शेयर किया है। पोस्ट के जरिए नेहा सिंह ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री जनता के सेवक होते हैं न कि मालिक।
Neha Singh Rathore
Neha Singh Rathore News: भोजपुरी लोकगायिका और यूट्यूबर नेहा सिंह राठौर अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। वह बेहद निर्भीक होकर सरकार से सवाल भी पूछती हैं और कटाक्ष भी करती हैं। हमेशा की तरह एक बार फिर नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर काफी लंबा पोस्ट शेयर किया है। पोस्ट के जरिए नेहा सिंह ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री जनता के सेवक होते हैं न कि मालिक। यहीं नहीं लोकगायिका ने सरकार से कई सवाल भी पूछ डाल है।
एक्स पर शेयर किये गये अपने पोस्ट में भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने लिखा कि दो बातें ध्यान से समझ लीजिए। किसी भी पद की गरिमा और सम्मान की रक्षा की पहली जिम्मेदारी उस पद पर बैठे व्यक्ति की होती है। फिर वह पद चाहे देश के प्रधानमंत्री का ही क्यों न हो। दूसरी बात। हमारा काम सरकार से सवाल पूछना है न कि उसका सम्मान करना। उन्होंने आगे लिखा कि मैं देश के संविधान का सम्मान करती हूँ और उसी संविधान के तहत मुझे सरकार से सवाल पूछने का अधिकार भी है।
उन्होंने सवाल करते हुए लिखा कि लोग हादसों में मरते जा रहे हैं। लेकिन सरकार ज़िम्मेदारी लेने को तैयार ही नहीं है। क्या इस तरह की सरकार सम्मान पाने की हक़दार है? सरकार अगर ये सोचती है कि वह स्कूलों पर ताले लगा देगी और जनता उसका सम्मान करते रहेंगे। वह यह उसकी ग़लतफ़हमी है। सरकार देश के नागरिकों को मताधिकारों से वंचित करती देगी और फिर भी जनता उसकी जय-जयकार करते रहेंगे तो सरकार भूल जाये। उन्होंने लिखा कि देश की जनता के लिए सरकार है। न कि देश की जनता सरकार के लिए।
सम्मान के लिए जनता को वजह देनी होगी
उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि अगर सरकार चाहती है कि जनता उसका सम्मान करें, तो नागरिकों को सम्मान की वजहें भी देनी होंगी। यह बातें प्रधानमंत्री पर भी लागू होती हैं। प्रधानमंत्री पद की गरिमा को पद पर बैठे व्यक्ति के अलावा कोई और नुकसान नहीं पहुँचा सकता। प्रधानमंत्री का सम्मान केवल इसलिए नहीं किया जा सकता कि वो एक उम्रदराज और बुजुर्ग व्यक्ति हैं। उन्होंने लिखा कि देश की जनता उनका सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है और तब तो बिल्कुल भी नहीं। जब उनके कार्यकाल के दौरान जनता की तकलीफ़ें लगातार बढ़ी हों। थोक भाव में दुर्घटनाएं हो रही हों और उनकी ज़िम्मेदारी लेने वाला कोई भी न हो।
उन्होंने लिखा कि सच तो यह है कि देश की जनता के वह सेवक हैं और उन्हें देशवासियों का सम्मान करना चाहिए। जनता सरकार या प्रधानमंत्री का सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है। जनता का काम सरकार और प्रधानमंत्री से सवाल पूछना और उनके कामों का हिसाब लेना है। उन्हें उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना वो डिज़र्व करते हैं। वह जनता के सेवक हैं मालिक नहीं। असली मालिक जनता है और यही लोकतंत्र है।
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