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Muzaffarnagar News: बेलगाम अफसरशाही पर कैबिनेट मंत्री का एक्शन, मुख्यमंत्री योगी को लिखा शिकायती पत्र
Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर में सदर एसडीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायत पत्र लिखा है। शासन ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की, जांच शुरू।
Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश की अफसरशाही को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं, और इस बार आवाज उठाई है खुद सरकार में शामिल एक कैबिनेट मंत्री ने। राष्ट्रीय लोक दल के विधायक और यूपी सरकार में मंत्री अनिल कुमार ने जनपद मुजफ्फरनगर की सदर एसडीएम निकिता शर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव को एक लिखित शिकायत भेजी है।
क्या है मामला?
7 मई को लिखे गए इस पत्र में मंत्री अनिल कुमार ने आरोप लगाया है कि एसडीएम निकिता शर्मा का रवैया न केवल जनप्रतिनिधियों बल्कि आम जनता के प्रति भी अपमानजनक और असंवेदनशील है। मंत्री के अनुसार, सदर तहसील क्षेत्र के नागरिक लंबे समय से उनके व्यवहार और कार्यालय में अनुपस्थिति को लेकर नाराज हैं।
मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि एसडीएम पर भूमाफियाओं के साथ मिलकर अवैध प्लॉटिंग को बढ़ावा देने का संदेह है, जिससे आम लोगों में असंतोष फैल रहा है।
मंत्री का बयान: “जनता की भावनाएं शासन तक पहुंचाना मेरा धर्म”
मीडिया से बात करते हुए कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर सदर एसडीएम के खिलाफ शिकायत की है। लंबे समय से जनता की तरफ से शिकायतें मिल रही थीं—चाहे व्यवहार को लेकर हों या भ्रष्टाचार से जुड़ी हों। कर्तव्यनिष्ठा और पारदर्शिता की बात करने वाली सरकार में हमारा दायित्व है कि हम जनता की आवाज को शासन तक पहुंचाएं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है, और अगर किसी भी अधिकारी के खिलाफ शिकायतें सत्य पाई जाती हैं, तो कठोर कार्रवाई निश्चित है।
शासन ने मांगी रिपोर्ट, जांच शुरू
कैबिनेट मंत्री की शिकायत के बाद शासन ने मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी से मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। इसके तहत जिला स्तर पर जांच प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। वहीं, सदर एसडीएम फिलहाल मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और कोई बयान नहीं दे रही हैं।
मामले के राजनीतिक और प्रशासनिक मायने
सावन माह और आगामी कांवड़ यात्रा जैसे संवेदनशील दौर में इस तरह का प्रशासनिक विवाद भाजपा और रालोद गठबंधन सरकार की छवि और सामंजस्य पर भी सवाल खड़े करता है। यह प्रकरण यह भी दर्शाता है कि सरकार के भीतर ही जवाबदेही सुनिश्चित करने की कोशिशें जारी हैं।
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