TRENDING TAGS :
Sant Kabir Nagar News: सेंदुरिया माइनर के लिए भूमि अधिग्रहित करने पहुंचा विभाग तो अक्रोशित हो गए किसान, जानें क्या है पूरा मामला
Sant Kabir Nagar News: कृषि प्रधान इस देश में किसानों के हितों और अधिकार को रौंदने का प्रयास करने वाले सरयू नहर खंड दो के अधिकारियों के तथ्यहीन दावों पर जब किसानों ने ताबड़तोड़ सवाल दागे तो खुद के तानाशाही रवैए के बाद भी जिम्मेदारों की बोलती बंद हो गई।
सेंदुरिया माइनर के लिए भूमि अधिग्रहित करने पहुंचा विभाग तो अक्रोशित हो गए किसान, जानें क्या है पूरा मामला (Photo- Newstrack)
Sant Kabir Nagar News: संतकबीरनगर। 33 साल पहले सरयू नहर खंड ने सेंदुरिया माइनर के लिए किसानों से जमीन की रजिस्ट्री कराया। किसानों को पूरा मुआवजा भी दे दिया। तमाम किसानों के भूमि की खारिज दाखिल भी नहीं हुई और सरयू नहर खंड को उक्त भूमि का अधिकार प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया। यूं तो यह पटकथा 90 के दशक के उस हिंदी फिल्म की रूपरेखा का प्रतिबिंब है जिसमे जमींदार का मुनीब किसानों से उनके पूर्वजों द्वारा अंगूठा लगाकर ठाकुर के नाम कर दिए जाने का उल्लेख करता नजर आ रहा है। तब गरीबी थी, अशिक्षा थी, लोग मानसिक रूप से कमजोर थे। लेकिन आज का बदला हालात उक्त पटकथा को पलटने की क्षमता रखता है।
किसानों ने किए अधिकारियों से ताबड़तोड़ सवाल
कृषि प्रधान इस देश में किसानों के हितों और अधिकार को रौंदने का प्रयास करने वाले सरयू नहर खंड दो के अधिकारियों के तथ्यहीन दावों पर जब किसानों ने ताबड़तोड़ सवाल दागे तो खुद के तानाशाही रवैए के बाद भी जिम्मेदारों की बोलती बंद हो गई। मामला महुली थाना क्षेत्र के सेंदुरिया माइनर का है। जहां सरयू नहर खंड के अधिकारी राजस्व विभाग और पुलिस विभाग की टीम के साथ जसरौली भैसही गांव पहुंच कर नहर के लिए भूमि अधिग्रहित करने लगे।
सूचना मिली तो विभागीय टीम के सामने तीन गांवों के सैकड़ों किसान सीना तान कर खड़े हो गए। सरयू नहर खंड के सहायक अभियंता अपने डेढ़ दर्जन सहायकों के साथ जसरौली पहुंचे। उनका दावा था कि उन्हें जसरौली, लोइयाभार और सेंदुरिया के 67 गाटा नंबरों के सैकड़ों किसानों ने अपनी कृषि योग्य भूमि विभाग के नाम रजिस्ट्री करके मुआवजा ले लिया है। उसका अधिकार पत्र भी उन्हें हासिल हो चुका है।
किसानों का क्या है कहना
विभाग के इस दावे पर किसान आक्रोशित हो उठे, मामला बिगड़ता देख धवरेपार के ग्राम प्रधान राजनाथ यादव और लोइयाभार के प्रधान प्रतिनिधि राजू यादव ने किसानों को समझा बुझा कर अधिकारियों से वार्ता शुरू कराया। किसानों का कहना है कि 1992 में जब नहर विभाग भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा बांट कर बैनामा करा रहा था तो काली जगदीशपुर के किसानों ने ही अपनी भूमि का मुआवजा लेकर जमीन रजिस्ट्री कर दिया था।
बाकी जसरौली भैसही, लोइयाभार और सेंदुरिया के किसानों ने मुआवजा कम बताते हुए भूमि रजिस्ट्री करने से मना कर दिया था। सरयू नहर खंड के अधिकारियों की दलील है कि एसएलओ को सरयू नहर खंड ने तीनों गांवों के किसानों की भूमि का भुगतान कर दिया है। एसएलओ ने सभी किसानों की भूमि रजिस्ट्री करा कर विभाग को अधिकार पत्र सौंप दिया है। किसानों ने जब रजिस्ट्री करके मुआवजा हासिल करने वाले किसानों की सूची मांगी तो अधिकारी बंगले झांकने लगे।
सवाल यह है कि यदि किसानों ने 1992 में अपनी जमीन रजिस्ट्री कर दिया तो विभाग ने काली जगदीशपुर तक ही नहर की खुदाई करके कार्य अधूरा क्यों छोड़ दिया? अगर जमीन 1992 में ही रजिस्ट्री हो गई तो आज तक सरयू नहर खंड खारिज दाखिल क्यों नहीं करा पाया? किसानों ने चेतावनी दिया कि अगर समूचे प्रकरण की जांच हुए बिना विभाग ने जबरिया काम शुरू कराया तो किसान बड़े आंदोलन को बाध्य होंगे।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge