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Shamli News: दशहरे पर मुस्लिम परिवार ने रावण का पुतला बनाकर दी एकता की मिसाल
Shamli News: शामली में मुस्लिम परिवार दशकों से बना रहा है रावण का पुतला, पेश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल, भाईचारे का संदेश दिया।
Shamli Dussehra, Hindu Muslim Unity
Shamli News: उत्तर प्रदेश के शामली जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जो गंगा–जमुनी तहज़ीब और हिंदू–मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल पेश करती है। यहां दशहरे के पर्व पर जहां पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ रामलीला महोत्सव चल रहा है, वहीं रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम एक मुस्लिम परिवार कर रहा है, वो भी लगातार तीन पीढ़ियों से ।
दरअसल बता दे मामला जनपद शामली के श्री मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम का है जी हां, हम बात कर रहे हैं शामली के हनुमान धाम की, जहां इस बार 56वीं रामलीला आयोजित हो रही है। इस आयोजन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां रावण दहन के लिए पुतले तैयार करने का जिम्मा एक मुस्लिम शख्स कय्यूम निभा रहे हैं। कय्यूम मुजफ्फरनगर के बघरा गांव के रहने वाले हैं और पिछले 18 सालों से लगातार इस काम को कर रहे हैं।
कय्यूम का कहना है कि दशहरे का पर्व सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि भाईचारे और एकता का प्रतीक है। वह लगभग एक महीने से श्री मंदिर हनुमान टिल्ला धाम में रहकर कुंभकरण, मेघनाथ और रावण के पुतले तैयार कर रहे हैं। इन पुतलों को देखकर हर कोई उनकी मेहनत और लगन की सराहना करता है। मेरे पांच बच्चे हैं। मैं करीब एक महीने से यहीं मंदिर में रहकर पुतले बना रहा हूं। ये काम हमारे खून में है, क्योंकि हमारे दादा ने इसे शुरू किया था, फिर मेरे अब्बू ने किया और अब मैं कर रहा हूं।
हमारी तीन पीढ़ियां इस काम को कर रही हैं। ये हमारे लिए गर्व की बात है कि हम हिंदू भाइयों के त्योहार में अपनी सेवा दे रहे हैं।”कय्यूम ने साथ ही समाज में फैलाई जा रही नफरत और हिंसा की घटनाओं पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग “आई लव यू मोहम्मद” जैसे नारे लगाकर और आगजनी कर माहौल खराब करते हैं, जबकि इस्लाम का सही संदेश शांति, भाईचारे और नमाज पढ़ने का है। मैं कहना चाहता हूं कि जो लोग आगजनी और हुड़दंग कर रहे हैं वो गलत कर रहे हैं।
मोहम्मद साहब ने कभी ऐसा करने को नहीं कहा। हमें बस अल्लाह का नाम अपने दिल में रखना चाहिए और पांच वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए। बाकी सब गलत है। कय्यूम की इस सोच और सेवा ने वाकई समाज को यह संदेश दिया है कि धर्म से बड़ा कुछ नहीं, बल्कि इंसानियत सबसे बड़ी चीज है। जब एक मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से हिंदू त्योहार दशहरे में सहयोग कर रहा है, तो यह भाईचारे और एकता की सबसे मजबूत तस्वीर है। कय्यूम जी और उनके परिवार ने हमेशा हमारे साथ खड़े होकर दशहरे को सफल बनाया है। यह गंगा–जमुनी तहज़ीब की सबसे बड़ी मिसाल है। हमें इन पर गर्व है।”
शामली की यह तस्वीर पूरे देश को यह संदेश देती है कि त्योहार किसी एक धर्म का नहीं बल्कि सबका होता है। कय्यूम जैसे लोग ही असली भारत की पहचान हैं, जो अपने कर्म और सोच से समाज को जोड़ते हैं। सच तो यह है कि जब तक ऐसे लोग मौजूद हैं, तब तक नफरत फैलाने वालों की साजिश कभी कामयाब नहीं हो सकती। शामली की यह अनोखी मिसाल—जहां मंदिर के आंगन में एक मुस्लिम परिवार दशकों से रावण का पुतला बनाता आ रहा है। यही है असली हिंदुस्तान, जहां हर धर्म, हर जाति और हर समाज मिलकर त्योहारों को और खूबसूरत बनाते हैं।
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