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Shravasti News: श्रावस्ती के बड़े पुरूष मजार पर लगने वाले मेले पर अटकलों की बाजार गरम
Shravasti News: सोनवा के दिकौली में बड़े पुरुष की मजार स्थित है। बताया जाता है कि यह सैयद सालार मसूद गाजी के बड़े वालिद थे।
Shravasti News (Image From Social Media)
Shravasti News: यूपी में बहराइच जनपद के सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले इस बार जेठ मेले में सुरक्षा कारणों से जिला प्रशासन ने मेला लगाने की अनुमति नहीं दी। ऐसे में गाजी की दरगाह के साथ ही श्रावस्ती में थाना सोनवा के दिकौली स्थित बड़े पुरुष की मजार पर लगने वाले जेठ मेले को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि मेला प्रबंध समिति के अध्यक्ष का कहना है कि दिकौली में आगामी 15 मई से मेला जरूर लगेगा।
सोनवा के दिकौली में बड़े पुरुष की मजार स्थित है। बताया जाता है कि यह सैयद सालार मसूद गाजी के बड़े वालिद थे। ऐसी मान्यता चली आ रही है कि बगैर यहां माथा टेके बहराइच में गाजी की दरगाह में जियारत पूरी नहीं होती। इसी मान्यता के चलते पूरे जेठ माह में हजारों की संख्या में जायरीन श्रावस्ती के बड़े पुरुष की मजार पर जियारत के लिए आते हैं। यहां आने वाले लोग मजार के निकट स्थित सरयू नहर या फिर बाग के निकट स्थित हैंडपंप पर स्नान करते हैं। वहीं, तमाम लोग सिन्नी आदि बेचने वालों की ओर से टेंट आदि से बने स्नानागार में स्नान करने के बाद यहां माथा टेक कर बहराइच के दरगाह में जियारत लिए रवाना होते हैं।
जायरीनों में मुस्लिमों की अपेक्षा हिंदू समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं। इनमें पूर्वांचल के प्रयागराज, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर सहित बिहार राज्य के जिलों से लोग आते हैं। इस बारे में मेला प्रबंधक एजाज अहमद का कहना है कि दिकौली बड़े पुरुष की मजार में मेले के लिए प्रशासन से अनुमति पहले भी लिखित रूप से नहीं ली जाती रही है और इस बार भी नही ली जाएगी।
मेले से पूर्व सोनवा पुलिस व एसडीएम जमुनहा को मौखिक सूचना दी जाती है। फिलहाल सोनवा पुलिस को सूचना दे दी गई है। जल्द ही एसडीएम जमुनहा को सूचित किया जाएगा। यहां 15 मई से जेठ मेले का आयोजन किया जाएगी।
कहा जाता हैं कि गाजी सैय्यद सालार मसूद की सेना में एक सेनापति थे। उनकी मृत्यु (1034 सीई) दिकौली गाँव में हुई, जहाँ बहराइच - भिंगा मार्ग पर पंद्रह किलोमीटर की दूरी पर उनकी कब्र स्थित है। इसी सदी में गजनी से सैयद सलार मसूद गाजी अपने सैनिकों के साथ यहां आए थे। इनके बड़े पिता (ताऊ) हजरत अमीर नसरुल्ला की यहीं शहादत हुई थी। बड़े पुरुष (बुढ़वा बाबा) के नाम से प्रसिद्ध इनके आश्ताने पर अलग-अलग समुदाय के लोग एक साथ जियारत करते हैं। इनके आश्ताने पर चादर चढ़ाने के साथ, धूपबत्ती, कपूर, इत्र आदि से इबादत की जाती है। इसके अलावा यह स्थानीय लोगों की भारी भीड़ जुटती है। मेले में दुकानें लगती हैं और जायरीनों के लिए नहाने तथा पीने के पानी की व्यवस्था प्रशासन करता रहा है।
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