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Sonbhadra News: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा, कोरोना काल में प्रयागराज में तीन दिन तक बनाए रखा था बंधक
Sonbhadra News: साढ़े चार वर्ष पुराने इस प्रकरण की अपर सत्र न्यायाधीश-विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को फाइनल सुनवाई की।
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Sonbhadra News: कोरोना काल में श्रृंगार के सामान की खरीदारी के लिए दुकान पर आने वाली नाबालिक के साथ दुष्कर्म और उसे प्रयागराज ले जाकर तीन दिन तक बंधक बनाए रखे जाने के मामले में दोषी को 20 वर्ष कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। मामला विंढमगंज थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। कोरोना काल में विंढमगंज स्थित ससुराल में रह रहे औरैया निवासी समुदाय विशेष के युवक ने इस वारदात को अंजाम दिया था।
विशेष न्यायाधीश ने की मामले की सुनवाई
साढ़े चार वर्ष पुराने इस प्रकरण की अपर सत्र न्यायाधीश-विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को फाइनल सुनवाई की। सामने आए तथ्यों, अधिवक्ताओं की तरफ से पेश किए गए तर्कों, गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों के आधार पर न्यायालय ने दोषसिद्ध पाते हुए, दोषी इमरान को 20 वर्ष की कठोर कैद के साथ 40 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न अदा करने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया।
शादी का झांसा देकर पीड़िता को बनाया गया था दुष्कर्म का शिकार
इमरान पुत्र यासीन उर्फ सलामत निवासी सैनपुर, थाना कोतवाली औरैया, जिला औरैया की विंढमगंज में शादी हुई थी। आर्थिक स्थिति ठीक न होने का हवाला देते हुए कोरोना काल में लॉकडाउन के समय पत्नी के साथ विंढमगंज चला आया। यहां ससुर ने उसकी छोटी सी श्रृंगार की दुकान खोलवा दी। उसकी दुकान पर श्रृंगार का सामान खरीदने के लिए पीड़िता आया करती थी।
आरोप है कि इस दौरान उसने पीड़िता को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। 4 जनवरी 2021 को शादी का झांसा देकर उसने उसके साथ संबंध बनाया। इसके बाद उसे लेकर प्रयागराज चला गया। आरोप है कि वहां उसकी एक कमरे में तीन दिन तक बंधक बनाए रखा और उसके बाद दुष्कर्म किया। उधर पीड़िता के परिवार वालों ने दो-तीन दिन खोजबीन के बाद मामले की जानकारी पुलिस को दी। अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू की तो पीड़िता इमरान के कब्जे से बरामद हुई।
इन-इन धाराओं के तहत दाखिल की गई थी चार्जशीट
मामले में पीड़िता की बरामदगी और आरोपी की गिरफ्तारी के बाद, विवेचक ने पर्याप्त साक्ष्य मिलने का दावा करते हुए धारा-363, 366, 376 (3) आईपीसी, धारा-3/4 (2) लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, धारा-3 (2) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल किया। चार साल तक चली सुनवाई के बाद सामने आए तथ्यों और गवाहों की तरफ से दर्ज कराए गए बयानों के आधार पर दोष सिद्ध पाया गया और उपरोक्त सजा सुनाई गई। अर्थदंड की धनराशि जमा करने पर उसमें से 30 हजार रुपये पीड़िता को प्रदान किए जाएंगे। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह की तरफ से की गई।
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