Sonbhadra News: पढ़ने जाने वाली छात्राओं के साथ अश्लील हरकत, आरोपी को नहीं मिली राहत, जमानत के लिए दी गई अर्जी खारिज

Sonbhadra News: छात्राओं के साथ अश्लील हरकत और इसकी वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने के आरोपी को फिलहाल न्यायालय ने किसी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 5 Aug 2025 10:16 PM IST
Obscene movements with students, application for bail dismissed
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पढ़ने जाने वाली छात्राओं के साथ अश्लील हरकत, जमानत के लिए दी गई अर्जी खारिज (Photo- Social Media)

Sonbhadra News: सोनभद्र । बभनी थाना क्षेत्र के रहने वाले एक युवक की तरफ से स्कूल जाने वाली किशोर उम्र की छात्राओं के साथ अश्लील हरकत और इसकी वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करने के आरोपी को फिलहाल न्यायालय ने किसी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने, प्रकरण को खासा गंभीर पाते हुए, आरोपी की तरफ से प्रस्तुत की गई जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

आपत्तिजनक तस्वीरों से भरी मिली थी आरोपी की मोबाइल

प्रकरण में सुनील कुमार गुप्ता पुत्र पन्नेलाल गुप्ता, निवासी चैनपुर, थाना बभनी के खिलाफ बभनी थाने में धारा-64 (2) एम, 75, 351 (3) बीएनएस, धारा-7/8, 5एल/6, 11(पअ)/12, 13/14 पॉक्सो एक्ट और धारा-67 आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि वह इलाके के एक इंटर कालेज में पढ़ने वाली छात्रा को लंबे समय से परेशान कर रहा था। कई बार उसने उसे रास्ते में रोककर, आपत्तिजनक तरीके से उसकी फोटो खींची। काफी परेशान होने के बाद पीड़िता ने जब इसकी जानकारी परिवार वालों को दी तो आरोपी का मोबाइल छिनकर पीड़िता के परिवार वालों ने देखा कि उसमें कई लड़कियों के आपत्तिजनक और अश्लीलें तस्वीरें भरी पड़ी थी। आरोप है कि जब इस बारे में आरोपी के परिवार वालो से बात की गई तो उन्होंने आरोपी का ही पक्ष लिया।

विवेचना के दौरान भी पाए गए गंभीर तथ्य

प्रकरण की छानबीन के दौरान बभनी पुलिस ने पाया कि पीड़िता जब स्कूल पढ़ने के लिए जाती थी तो आरोपी उसके साथ छेड़खानी करता था और उसकी अश्लील फोटो खींचता था। इसी अश्लील फोटो के जरिए, ब्लैकमेल करने उसने उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया।

पीड़िता के कड़े एतराज पर उसकी फोटो वायरल कर दी। जबरिया संबंध बनाए जाने के दौरान की भी तस्वीर-वीडियो बनाकर ब्लैकमेल का प्रयास किया गया। प्रकरण की सुनवाई करते समय दोनों पक्षों के अधिववक्ताओं की तरफ से पेश किए गए तर्कों और पत्रावली में उपलक्ष्य साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने पाया कि मामला गंभीर प्रकृति का है। इसलिए आरोपी को फिलहाल जमानत पर रिहा किया सही नहीं रहेगा।

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