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Sonbhadra News: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष की कठोर कैद, घर में घुसकर की थी वारदात, अर्थदंड की भी करनी होगी अदायगी
Sonbhadra News: अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की।
नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 10 वर्ष की कठोर कैद (photo: social media )
Sonbhadra News: करमा थाना क्षेत्र में छह वर्ष पूर्व घर में घुसकर नाबालिग के साथ दुष्कर्म किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुुनाई गई है। प्रकरण में जातिसूचक शब्दों के जरिए अपमानित करने, गाली-गलौज, जानमाल की धमकी देने का भी आरोप लगाया गया था लेकिन अभियोजन पक्ष इन अपराधों को साबित कर नहीं पाया।
अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर दुष्कर्म का प्रकरण सही पाया गया, जिसको देखते हुए दोषी पाए गए श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू 10 वर्ष के कठोर कैद के साथ ही, 20 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
इस अपराध के लिए भी पाया गया दोषी, सुनाई गई सजा:
न्यायालय में सुनवाई के दौरान घर में घुसने के अपराध के लिए भी धारा 452 आईपीसी के तहत दोषी पाया गया और इसके लिए तीन वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया। दोनों सजा साथ-साथ चलेगी। प्रकरण के विचारण के दौरान जेल में बिताई गई अवधि सजा में समयोजित की जाएगी। अर्थदंड की अदायगी न करने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
यह था आरोप, जिस पर सुनाया गया फैसला:
करमा थाने में प्रकरण को लेकरं 13 नवंबर 2018 को तहरीर दी गई थी। पीड़िता की मां ने इस तहरीर के जरिए पुलिस को अवगत कराया था कि 19 सितंबर 2018 को सुबह 8 बजे उसकी नाबालिग बेटी खाना बना रही थी और वह दवा लेने चली गई थी। उस वक्त वह घर में अकेली थी। दवा लेकर जब वह घर वापस लौटी तो देखा कि करमा थाना क्षेत्र के सिरसिया ठकुराई गांव अंतर्गत टोला किरहिया पहाड़ी निवासी श्यामसुंदर राजभर उर्फ गुड्डू पुत्र लालमनी घर में घुसा हुआ था और उसकी बेटी के साथ जबरन बलात्कार कर रहा था। पीड़िता के चीखने चिल्लाने पर पास-पड़ोस के कई लोग जुट गए। लोगों को आया देख धमकी देता हुआ आरोपी वहां से फरार हो गया।
पीड़िता के मा को भी दुष्कर्म की धमकी देने का था आरोप:
तहरीर में आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने पीड़िता की मां को चुप न रहने पर उसके साथ दुष्कर्म की वारदात करने की धमकी दी। प्रकरण में करमा पुलिस से मदद नहीं मिली। तब पीड़िता पुलिस अधीक्षक के पास पहुंची। वहां से करमा पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया गया। तब करमा पुलिस ने दुष्कर्म, एससी-एसटी सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कर प्रकरण की विवेचना की और पर्याप्त सबूत मिलने की बात कहते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी।
इन-इन धाराओं के तहत पाया गया दोषीः
न्यायालय में अभियोजन पक्ष की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने की। इस दौरान धारा 376, 452 आईपीसी के तहत दोषी पाया गया और कारावास की सजा के साथ ही अर्थदंड की सजा सुनाई गई। वहीं धारा 504, 506 आईपीसी और 3(2)ट एससी/एसटी एक्ट के तहत बताए गए अपराध को अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया।
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