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Sonbhadra News : सोनभद्र में बिजली कर्मियों का वर्टिकल सिस्टम के खिलाफ आंदोलन, 24 से प्रदर्शन
Sonbhadra News: सोनभद्र में 24 अक्टूबर से बिजली कर्मियों का वर्टिकल सिस्टम के खिलाफ आंदोलन, निजीकरण के विरोध में चेतावनी
सोनभद्र में बिजली कर्मियों का वर्टिकल सिस्टम के खिलाफ आंदोलन, 24 से प्रदर्शन (photo: social media )
Sonbhadra News: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि शहरी क्षेत्रों में वर्टिकल सिस्टम लागू कर बड़े पैमाने पर कर्मचारियों और अभियंताओं के पदों को समाप्त करने की किसी भी कोशिश का जोरदार विरोध किया जाएगा। समिति ने कहा है कि दीपावली पर्व समाप्त होने के बाद 24 अक्टूबर से बिजली कर्मी पुनः आंदोलन शुरू करेंगे और राज्यभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन का शीर्ष प्रबंधन निजीकरण की नीति के तहत वर्टिकल सिस्टम लागू कर रहा है। इसके बहाने न सिर्फ बिजली कर्मियों के हजारों पद समाप्त किए जा रहे हैं, बल्कि राज्य की बिजली व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है।
समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि यदि मनमाने ढंग से पदों की समाप्ति का निर्णय नहीं रोका गया, तो इसका असर पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर गंभीर रूप से पड़ेगा।
8000 से अधिक पद समाप्त किए जाने का निर्णय
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन) में ही 8000 से अधिक पद समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया है। इनमें 2055 नियमित पद और लगभग 6000 संविदा कर्मियों के पद शामिल हैं। समिति का कहना है कि इससे राजधानी की बिजली व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद घटाकर 8, अधिशासी अभियंता स्तर के 50 पद घटाकर 35, सहायक अभियंता स्तर के 109 पद घटाकर 86, अवर अभियंता स्तर के 287 पद घटाकर 142, टीजी-2 के 1852 पद घटाकर 503 कर दिए जा रहे हैं।
इसी प्रकार लेखा संवर्ग में भी कटौती की गई है— अकाउंटेंट के 104 पदों को घटाकर 53, एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट के 686 पदों को घटाकर 280, जबकि कैंप असिस्टेंट के 74 पदों में से मात्र 12 ही पद शेष रह गए हैं।
पदों की समाप्ति और छंटनी की सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर
संघर्ष समिति ने कहा कि पदों की समाप्ति और छंटनी की सबसे बड़ी मार संविदा कर्मियों पर पड़ रही है। छह हजार से अधिक संविदा कर्मियों के रोजगार पर संकट मंडरा रहा है।
समिति ने आरोप लगाया कि मध्यांचल, पश्चिमांचल, लेसा, केस्को, पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में इस तरह की कटौती निजीकरण की दिशा में पहला कदम है। इससे बिजली कर्मियों में गहरा असंतोष व्याप्त है।
समिति ने दो टूक कहा कि यदि पदों की समाप्ति और निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल नहीं रोकी गई, तो संघर्ष की राह और तेज की जाएगी तथा आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर निर्णायक रूप दिया जाएगा।
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