बिजली निजीकरण के विरोध में अवकाश के दिन संघर्ष समिति ने चलाया जनसंपर्क अभियान, जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज

Lucknow News: समिति ने कहा कि बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर हुई है, लाइन फॉल्ट कम हो गया हैं, तो निजीकरण किसके हित में किया जा रहा है? जहां मार्च 2017 में लाइन फॉल्ट 40 प्रतिशत थीं, वहीं अब यह घटकर 15.54 प्रतिशत रह गई हैं।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 6 July 2025 7:43 PM IST
Protest against electricity privatization
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Protest against electricity privatization (Photo: Social Media)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा बिजली के निजीकरण की कोशिशों पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने गंभीर सवाल उठाए हैं। समिति ने रविवार के अवकाश के दिन प्रदेश के जनपदों और परियोजनाओं में बैठक आयोजित करके जेल भरो आंदोलन की तैयारी भी की कई है। संघर्ष समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिसका दावा खुद सरकार विज्ञापनों के माध्यम से कर रही है।

डिस्कॉम्स में लाइन फॉल्ट 16 प्रतिशत

समिति ने पूछा कि जब बिजली व्यवस्था पहले से बेहतर हो हुई है, लाइन फॉल्ट कम हो गया हैं, तो निजीकरण किसके हित में किया जा रहा है? विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि मार्च 2017 में जहां लाइन फॉल्ट 40 प्रतिशत थीं, वहीं अब यह घटकर 15.54 प्रतिशत रह गई हैं। भारत सरकार के सितंबर 2020 में जारी निजीकरण स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार जिन डिस्कॉम्स की लाइन हानियां 16 प्रतिशत से कम हैं, उनका निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में उत्तर प्रदेश के डिस्कॉम्स का निजीकरण सरकार के ही आदेश के खिलाफ है।

प्रदेश में निजीकरण की जरूरत नहीं

संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार के अनुसार भीषण गर्मी के महीनों अप्रैल, मई और जून में पूर्वांचल, दक्षिणांचल और अन्य सभी विद्युत वितरण निगमों ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसतन 20 से 24 घंटे तक बिजली आपूर्ति की है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतना सब कुछ सुधारने के बाद भी निजीकरण की जरूरत क्यों पड़ रही है। समिति ने आरोप लगाया कि प्रदेश की 42 जनपदों की जमीन मात्र एक रुपए की लीज पर दी जा रही है, एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के भाव बेचा जा रहा है। यह उपभोक्ता और जन विरोधी कदम है।

निजीकरण उपभोक्ताओं के हित में नहीं

यह निजीकरण उपभोक्ताओं के हित में नहीं बल्कि कॉर्पोरेट हितों की पूर्ति के लिए किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने बताया कि प्रदेशभर में रविवार को आयोजित बैठकों में कर्मचारियों ने खुद से जेल जाने की घोषणा की है और उनके नाम लिख लिए गए हैं। उन्होंने चेतावनी देकर कहा कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए टेंडर जारी होते ही कर्मचारी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और प्रदेशव्यापी जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे। संघर्ष समिति ने आम जनता, किसानों और उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे इस जनविरोधी निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भाग लें और इसे व्यापक जनआंदोलन का रूप दें।

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