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Varanasi News: बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में काली पट्टी बांधकर जताया विरोध, जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज
Varanasi News: बिजली कर्मचारियों ने दिनभर काली पट्टी बांध कर "विरोध दिवस" मनाया और अलग-अलग कार्यालयों में जाकर जनजागरण के माध्यम से 9जुलाई को होने वाले देशव्यापी एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल के विषय मे भी विस्तार से जानकारी दी।
बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में काली पट्टी बांधकर जताया विरोध, जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज (Photo- Newstrack)
Varanasi News: वाराणासी: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आह्वान पर आज बनारस के बिजली कर्मचारियों ने दिनभर काली पट्टी बांध कर "विरोध दिवस" मनाया और अलग-अलग कार्यालयों में जाकर जनजागरण के माध्यम से 9जुलाई को होने वाले देशव्यापी एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल के विषय मे भी विस्तार से जानकारी दी।
वक्ताओ ने बताया कि आज वाराणासी क्षेत्र प्रथम-वाराणासी के मुख्य अभियंता द्वारा संघर्ष समिति वाराणासी को 9जुलाई को होने वाले देशव्यापी एकदिवसीय हड़ताल के विषय पर द्विपक्षीय वार्ता हेतु आमन्त्रित किया गया था जिसमे संघर्ष समिति वाराणासी के विभिन्न घटक संगठन के पदाधिकारियों ने वार्ता अटेंड की और 9जुलाई को देशव्यापी एकदिवसीय सांकेतिक हडताल पर अपने ऊर्जा प्रबंधन और संघर्ष समिति के मध्य पूर्व में हुए समझौते का पालन कराने की अपील करते हुए कहा कि ऊर्जा प्रबन्धन कह रहा है कि निजीकरण के दौरान बिजलिकर्मियो का भविष्य सुरक्षित रहेगा जबकि पूर्व में इसी सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री ,ऊर्जा मंत्री, अध्यक्ष पावर कारपोरेशन एवं अन्य अधिकारियों एवं संघर्ष समिति के बीच समझौता हुआ था कि निजीकरण नही किया जाएगा, वही दिसम्बर20222 में बिजलिकर्मियो के मांग पत्र पर समझौता हुआ किन्तु उसपर आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी ,वही मार्च 2023 में ऊर्जा मंत्री जी द्वारा न्यूज़ चैनल पे ,राज्य सरकार के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में ये कहा गया कि मैं संघर्ष समिति और बिजलिकर्मियो का धन्यवाद करता हु की ये लोग जनहित में अपना हड़ताल 72घंटे से पहले वापस ले लिए और मैं अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को निर्देश देता हूं कि हड़ताल के दौरान जो भी विभागीय कार्यवाही की गई है उसको वापस ले ले उसके बाद भी आज तक न तो एक भी समझौता लागू हुआ और नही ही कोई निर्देश का इम्प्लीमेंट हुआ तो बिजलीकर्मी अभी ऊर्जा मंत्री जी या ऊर्जा प्रबन्धन के किसी भी बात को सही कैसे मानेंगे।
वक्ताओ ने बताया कि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने एक सुर में बिना मोबाइल और डेटा या बॉयोमेट्रिक मशीन लगाये बिजलिकर्मियो का वेतन रोकने की कड़ी निंदा करते हुये कहा कि बिजलिकर्मियो का वेतन उस महीने का रोका गया है जिस महीने में अभियंता, अवर अभियंता, नियमित और संविदाकर्मियों ने अपनी ड्यूटी ऑवर से कही बहुत ज्यादा ड्यूटी कर इस प्रचंड गर्मी में बिजली व्यवस्था बनाये रखी उस महीने में वेतन रोककर प्रबन्धन ने बहुत बड़ी गलती की है ।
प्रबन्ध निदेशक के इस कदम से सभी बिजलिकर्मियो मे भारी रोष व्याप्त हो गया है और संघर्ष समिति ने प्रबन्ध निदेशक महोदय से आग्रह किया है कि निर्दयता छोड़कर इन निर्दोष बिजलिकर्मियो का वेतन 9जुलाई तक निर्गत करा दीजिये क्योंकि वेतन से बहुत से बिजलिकर्मियो का बैंक का लोन का क़िस्त मिस हो सकता है अन्यथा संघर्ष समिति 9जुलाई के बाद किसी भी प्रकार का बड़ा आंदोलन केवल पुर्वांचल या उनके कार्यालय पर करने को बाध्य होगी जिससे उत्पन्न होने वाले समस्त अधोगिक अशांति की जिम्मेदारी प्रबन्ध निदेशक महोदय की होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से उपभोक्ताओं को होने वाले विशेष लाभ के विज्ञापन से आक्रोशित बिजली कर्मचारियों ने आज पूरे दिन काली पट्टी बांध कर अपना विरोध दर्ज किया। "विरोध दिवस" के तहत आज बिजली कर्मचारियों,जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक विरोध प्रदर्शन कर निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष और सामूहिक जेल भरो आंदोलन का ऐलान किया। स्वेच्छा से जेल जाने वाले कर्मचारियों ने लाइन लगाकर जेल जाने वाले की सूची में अपना नाम लिखाया।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने एक बार फिर कहा है कि यदि उप्र सरकार की नजर में निजीकरण के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों में बिजली की आपूर्ति हेतु विश्वसनीय प्रबन्धन होगा तो इस विज्ञापन से अपने आप स्पष्ट हो जाता है कि कि ऊर्जा निगमों में विगत 22 वर्षों से चल रहा आई ए एस प्रबंधन अविश्वसनीय है। संघर्ष समिति ने सवाल किया कि इसी अविश्वसनीय प्रबंधन द्वारा किए जा रहे निजीकरण की विश्वसनीयता क्या है ?
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रदेश कि ऊर्जा मंत्री माननीय श्री अरविंद कुमार शर्मा जी ने कहा है कि बेहतर प्रबन्धन और तकनीक के लिए निजीकरण किया जा रहा है। माननीय ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा जी स्वयं एक आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और उनके द्वारा यह कहना कि निजीकरण के बाद बेहतर प्रबन्धन होगा , एक प्रकार से ऊर्जा निगमों में विगत 22 वर्षों से काम कर रहे आई ए एस प्रबंधन की विफलता को बताता है। सवाल यह है कि ऊर्जा निगमों का प्रबंध करने में जो आईएएस अधिकारी विफल हो चुके है उन्हीं आईएएस अधिकारियों से निजीकरण के किस सफल प्रयोग की उम्मीद की जा रही है।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण की सारी प्रक्रिया भ्रष्टाचार से भरी हुई है। पहले निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव के प्राविधान को शिथिल कर दिया गया। फिर झूठा शपथ पत्र देने की बात और अमेरिका में पेनल्टी लगने की बात स्वीकार कर लेने वाले मेसर्स ग्रांट थॉर्टन को निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसलटेंट बनाया गया। इसके बाद पॉवर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग, जिनकी निजी घरानों के साथ मिली भगत है, को तीन बार सेवा विस्तार दिया गया। निधि नारंग ने निजी घरानों के साथ मिली भगत कर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार कराया। इसे विद्युत नियामक आयोग को भेजा गया। विद्युत नियामक आयोग ने इस पर अनेकों आपत्तियां दर्ज कर इसे वापस कर दिया।
संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के दस्तावेज को अभी तक विद्युत नियामक आयोग ने अप्रूव नहीं किया है। आश्चर्य है कि इसके बावजूद पॉवर कारपोरेशन और शासन में बैठे उच्च अधिकारियों ने निजीकरण के विशेष लाभ बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार का विज्ञापन छपवा दिया। इसी का प्रतिकार करने हेतु आज बिजली कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाया है।
वार्ता में मुख्य अभियंता ई0 राकेश पाण्डेय एवं उनके अधिकारी के साथ संघर्ष समिति की ओर से ई0मायाशंकर तिवारी, ई0एस0के0सिंह,ई0नीरज बिंद, अंकुर पाण्डेय,जमुना पाल,रामकुमार झा, उदयभान दुबे,रवि चौरसिया,प्रमोद कुमार,मनोज यादव रहे।
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