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Electricity Privatization के विरोध में प्रदर्शन तेज, दो जुलाई को होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।
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Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार को प्रदेशभर में बैठक आयोजित हुई। बिजली कर्मियों ने आरोप लगाया कि कारपोरेशन प्रबंधन बिजली तंत्र के निजीकरण को जबरन लागू करने के लिए प्रदेश में आपातकाल जैसा वातावरण बना रहा है।
दो जुलाई को देशभर में आंदोलन
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, झांसी, मेरठ, गोरखपुर समेत सभी प्रमुख जिलों में बिजली विभाग के कर्मचारियों की बैठक हुई। उसके बाद पावर हाउसों के बाहर होकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मियों ने सरकार और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाज़ी करते हुए कहा कि यदि उत्पीड़न बंद नहीं हुआ, निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया, तो दो जुलाई को देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी सड़क पर उतरेंगे।
निजीकरण से कुछ लोग को लाभ
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली क्षेत्र का निजीकरण केवल कुछ लोग के लाभ के लिए किया जा रहा है। जबकि इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। निजी कंपनियां मुनाफे के लिए काम करती हैं, और इससे आम आदमी को मिलने वाली बिजली कुछ समय के बाद महंगी हो जाएगी। इसके साथ ही रोजगार की गारंटी और सेवा की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न लग जाएगा। कारपोरेशन प्रबंधन विपक्ष की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रहा है।
अभियंताओं पर केस दर्ज होना गलत
इस दौरान कर्मचारियों ने आंदोलन से जुड़े अभियंताओं पर केस दर्ज होने को दमनात्मक कार्रवाई बताया हैं। इस मामलों को लेकर विभागीय कर्मियों में जबरदस्त गुस्सा है। संघर्ष समिति ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बिजली निजीकरण की योजना वापस नहीं ली, कर्मचारियों पर हुई कार्यवाही रोकी नहीं गई, तो दो जुलाई को पूरे देश के बिजली कर्मचारी एकजुट होकर जेल भरो आंदोलन करेंगे। इसमें विभिन्न राज्यों के 27 लाख से अधिक बिजली कर्मचारी और अभियंता भाग लेंगे।
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