बिजली निजीकरण विरोधी आंदोलन से जुड़े अभियंताओं पर केस दर्ज होने से कर्मचारियों में उबाल, दलित-पिछड़े अभियंताओं को निशाना बनाए जाने का आरोप

Electricity Privatization: बिजली विभाग के संगठनों की बैठक में मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि उत्पीड़न वाली कार्यवाही नहीं रोकी गई और दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए, तो सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 29 Jun 2025 6:10 PM IST
Electricity Privatization
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Electricity Privatization (Photo: Social Media)

Electricity Privatization: बिजली विभाग के निजीकरण विरोधी आंदोलन से जुड़े दो अभियंताओं पर केस दर्ज किए जाने के बाद विभाग में भारी आक्रोश फैल गया है। इस कार्रवाई को लेकर विद्युत कर्मचारी संगठनों में जबरदस्त नाराजगी है। आपात बुलाई गई बैठक में अभियंताओं ने आरोप लगाया कि कॉर्पोरेशन प्रबंधन दलित और पिछड़े वर्ग के अभियंताओं को चुन-चुनकर निशाना बना रहा है, उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है।

सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन

बिजली विभाग के संगठनों की बैठक में मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि उत्पीड़न वाली कार्यवाही नहीं रोकी गई और दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए, तो सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। संगठनों ने कहा कि इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि प्रबंधन का उद्देश्य निजीकरण विरोध की आवाज को कुचलना और आंदोलनकारियों में भय पैदा करना है। जिन दो अभियंताओं पर केस दर्ज किया गया है, वे दोनों पहले से बिजली निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे।

पांच अन्य अभियंताओं पर कार्रवाई

इसके अतिरिक्त पांच अन्य अभियंताओं पर भी जल्द ही कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इससे विभागीय कर्मचारियों के बीच भय और असंतोष का माहौल बन गया है। संगठनों ने बैठक के बाद बताया कि विजिलेंस विभाग ने अभियंताओं के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच भी शुरू कर दी है। दोनों अभियंताओं ने कहा कि उनपर हो रही कार्रवाई व्यक्तिगत दुश्मनी और जातिगत भेदभाव से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों की संपत्तियों की कोई जांच नहीं की जा रही है।

कॉर्पोरेशन अध्यक्ष की संपत्ति की जांच

अभियंताओं की पृष्ठभूमि बेहद सामान्य है, उन्हीं को चिह्नित किया जा रहा है। संगठन बैठक में प्रस्ताव पास कर मांग की गई कि कॉर्पोरेशन अध्यक्ष सहित उच्च अधिकारियों की संपत्तियों की जांच होनी चाहिए। इससे स्पष्ट होगा कि कार्रवाई निष्पक्ष है। संगठनों ने मांग करते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री मामले में दखल दें, निर्दोष अभियंताओं के खिलाफ की जा रही कार्यवाही को तुरंत रोक लगाएं। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश भर के अभियंताओं और कर्मचारियों में असंतोष फैलता दिख रहा है।

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