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Electricity Privatization के खिलाफ घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रहे कर्मचारी, संघर्ष समिति को घोटाले की आशंका
Electricity Privatization: बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के नेतृत्व में व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू किया गया है। इस दौरान उपभोक्ताओं को बताया जा रहा है कि निजीकरण से न सिर्फजेब पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि बिजली व्यवस्था चरमरा जाएगी।
UP Electricity Privatization (Photo: Social Media)
UP Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के खिलाफ संघर्ष और तेज हो गया है। प्रदेशभर के बिजली कर्मचारी केवल धरने-प्रदर्शनों तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वह घर-घर जाकर उपभोक्ताओं को निजीकरण के दुष्परिणामों से अवगत कराने का अभियान चला रहे हैं। बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के नेतृत्व में व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू किया गया है। इस दौरान उपभोक्ताओं को बताया जा रहा है कि निजीकरण से न सिर्फ जेब पर बोझ बढ़ेगा, बल्कि बिजली व्यवस्था चरमरा जाएगी।
निजीकरण की प्रक्रिया में घोटाला
इस अभियान के तहत कर्मचारी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जाकर पर्चे बांट रहे हैं, चौपालों में छोटी-छोटी जन सभाएं कर रहे हैं, इसमें लोगों को समझा रहे हैं कि निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का जिम्मा सौंपना उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। निजी कंपनियां मुनाफे के उद्देश्य से कार्य करती हैं, इनके आने के बाद न सिर्फ बिजली की दरें बढ़ेंगी, बल्कि सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट आएगी। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया में भारी घोटाले की आशंका है।
चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचेगा
उन्होंने चुनिंदा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह योजना लाई जा रही है। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि सच्चाई सामने आएं। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण के नाम पर प्रदेश की जनता को गुमराह किया जा रहा है। पहले निजीकरण हुआ है, वहां बिजली दरें आसमान छूने लगीं हैं। उत्तर प्रदेश में भी यही स्थिति दोहराई जाएगी।इस बीच प्रदेश के कई जिलों में संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कार्य किया और विरोध दर्ज कराया।
आने वाले दिनों में हड़ताल संभव
कर्मचारियों ने कहा कि सरकार ने मांगें नहीं मानीं, तो आने वाले दिनों में हड़ताल का ऐलान होगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में वितरण व्यवस्था के कुछ हिस्सों को निजी हाथों में देने की योजना बनाई है। इसपर सरकार का तर्क है कि इससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी और बिजली चोरी पर लगाम लगेगी। इस पर कर्मचारी संगठनों का कहना है कि बिजली निजीकरण जनविरोधी फैसला है, जो प्रदेश की ऊर्जा संरचना को नुकसान पहुंचाएगा।
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