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नियामक आयोग की सख्ती के बाद नोएडा पावर कंपनी ने डाटा यूपीएसएलडीसी की वेबसाइट पर किया अपलोड़
Electricity Privatization: विद्युत नियामक आयोग की सख्ती के बाद एनपीसीएल के विद्युत आपूर्ति संबंधी आंकड़े 32 साल बाद यूपीएसएलडीसी की साइट पर सार्वजनिक हुए।
Electricity Privatization: विद्युत नियामक आयोग के सख्त निर्देश के बाद नोएडा पावर कंपनी (एनपीसीएल) के विद्युत आपूर्ति संबंधी आंकड़े 32 साल बाद यूपीएसएलडीसी (UP SLDC) की साइट पर सार्वजनिक हो गए हैं। उपभोक्ता परिषद की मांग पर विद्युत नियामक आयोग ने यूपीएसएलडीसी को आदेश जारी करते हुए कहा था कि यदि आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए, तो नोएडा पावर कंपनी के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। इस चेतावनी के बाद एनपीसीएल के पसीने छूट गए, क्योंकि उन्हें पता था कि अब वे इस फसाने से बच नहीं सकते।
परिषद की जीत, कंपनी की हार
उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र की पहली कंपनी नोएडा पावर कंपनी 1993 से यूपीएसएलडीसी की साइट पर अपनी ग्रामीण, शहरी और औद्योगिक आपूर्ति की स्थिति सार्वजनिक नहीं करती थी। उपभोक्ता परिषद ने मामले को नियामक आयोग के सामने रखा और संवैधानिक तरीके से अपनी मांग रखी थी। परिषद की मांग पूरी तरह से उचित थी। इस निजी कंपनी को झुकना पड़ा। अब कंपनी हर दिन ग्रामीण, शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों को दी जा रही बिजली आपूर्ति का डाटा यूपीएसएलडीसी की साइट पर डाल रही है।
निजी घराने को भ्रष्टाचार की छूट नहीं
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने एनपीसीएल को एक और चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि सामग्री खरीद, ट्रांसफार्मर, मीटर और कंडक्टर जैसी चीजों में 'घालमेल' चल रहा है, उसे तुरंत सुधारा जाए। ऐसा नहीं करने पर परिषद जल्द ही मामलों का भंडाफोड़ करेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसी भी निजी घराने को जनता की बिजली दरों को बढ़ाकर भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं मिलेगी। अब यूपीएसएलडीसी की साइट पर सितंबर 2025 के लिए जो डेटा सार्वजनिक किया गया है
आंकड़ों की सत्यता जांचे सरकार
उसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों को लगभग 19 से 20 घंटे, शहरी क्षेत्रों को 23 घंटे 48 मिनट और उद्योगों को 23 घंटे 58 मिनट तक बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि अब यह सरकार का काम है कि वह इन आंकड़ों की सत्यता की जांच करे। परिषद ने यूपीएसएलडीसी को एक स्वतंत्र प्रबंध निदेशक (एमडी) देने की मांग की थी, जो बिना किसी दबाव के काम कर सके। विद्युत नियामक आयोग ने अपने आदेश में मांग को भी स्वीकार कर लिया है। उपभोक्ता परिषद की लड़ाई देश के निजी घरानों को आईना दिखाने में सफल है कि जनता से जुड़ी कोई भी जानकारी छिपाई नहीं जा सकती है।
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