TRENDING TAGS :
उपभोक्ता परिषद ने सरकार को घेरा, निजीकरण के बजाय यूपीएसईबी को बहाल करने की मांग
Electricity Privatization: उपभोक्ता परिषद ने यूपीएसईबी के विघटन और उसके बाद सुधारों का हवाला देते हुए सीएजी की समीक्षा रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
Electricity Privatization in UP (Photo: Social Media)
Electricity Privatization: बिजली कंपनियों के निजीकरण की कवायद के बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। परिषद ने राज्य सरकार और पावर कॉरपोरेशन को चेतावनी देते हुए कहा कि सुधारों के नाम पर निजीकरण करना गलत है। परिषद ने साल 2000 में हुए राज्य विद्युत परिषद (यूपीएसईबी) के विघटन और उसके बाद सुधारों का हवाला देते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) समीक्षा रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है।
सीएजी रिपोर्ट में कहा सुधार हुए थे फेल
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने 31 मार्च 2004 को जारी सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सीएजी ने स्वीकार किया था कि यूपीएसईबी का विघटन कंपनियों का निगमीकरण और पुनर्गठन पूरी तरह से फेल साबित हुआ है। इन कथित सुधारों से परिचालन प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके उलट बड़े पैमाने पर घाटा बढ़ा ट्रांसमिशन और वितरण हानियां बढ़ीं और उपभोक्ता सेवा में कोई सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में बिजली कंपनियों को निजी घरानों को बेचना प्रदेश की जनता के साथ धोखा है। इस निजीकरण प्रक्रिया को तुरंत रोक देना चाहिए।
यूपीएसईबी को बहाल करने की वकालत
उपभोक्ता परिषद ने सरकार से मांग करते हुए कहा यदि बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाना है।उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद (यूपीएसईबी) को बहाल किया जाए। ऐसा करने से प्रदेश का ऊर्जा क्षेत्र पूरे देश में एक मिसाल कायम करेगा। सभी बिजली कंपनियों और पावर कॉरपोरेशन के पास लगभग 1 लाख 80 हजार करोड़ की संपत्ति है, वह यूपीएसईबी की संपत्ति है। ऐसे में इन संपत्तियों को निजी घरानों को बेचना गलत है। वर्मा ने कहा कि अगर यूपीएसईबी को फिर से बहाल किया जाता है, तो यह ऊर्जा क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएगा और प्रदेश अपनी गलती को सुधारने वाला देश का पहला राज्य बनेगा।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!