बिजली निजीकरण लूट का दस्तावेज, संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव को भेजा पत्र, निजीकरण का निरस्त करने की मांग

Electricity Privatization: समिति के अनुसार 4 अगस्त को आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर प्रदेशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। राजधानी लखनऊ में अपराह्न एक बजे से मध्यांचल मुख्यालय पर धरना होगा।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 3 Aug 2025 6:52 PM IST (Updated on: 3 Aug 2025 7:23 PM IST)
Uttar Pradesh Power Workers Protest
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Uttar Pradesh Power Workers Protest (Photo: Network)

Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्य सचिव शशि प्रकाश गोयल को पत्र भेजकर पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण का निर्णय गलत आंकड़ों के आधार पर लिया गया है। जो लूट का दस्तावेज साबित होगा। समिति ने कहा कि सीएम योगी के नेतृत्व में बिजली व्यवस्था में सुधार हुआ है और निजीकरण निरस्त होने पर बिजलीकर्मी दोगुने उत्साह से उपभोक्ताओं को सेवा देंगे।

निजीकरण प्रक्रिया पर सवाल

समिति के अनुसार 4 अगस्त को आंदोलन के 250 दिन पूरे होने पर प्रदेशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। राजधानी लखनऊ में अपराह्न एक बजे से मध्यांचल मुख्यालय पर धरना शुरू होगा। समिति ने प्रमुख सचिव को भेजे पत्र में कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने घाटे के आंकड़ों में सरकारी सब्सिडी और सरकारी विभागों के बिजली बिल बकाये को शामिल किया है। जबकि बैलेंस शीट से स्पष्ट है कि कई निगमों में घाटा नहीं है या बहुत कम है। इसके बावजूद निजीकरण की प्रक्रिया चलाई जा रही है।

संपत्तियों का सही मूल्यांकन नहीं

समिति ने आरोप लगाया कि ट्रांजैक्शन कंसलटेंट के चयन में गंभीर अनियमितताएं हुई है। पहले चरण में केवल एक टेंडर आया है। उसके बाद में आरएफपी डॉक्यूमेंट में हितों के टकराव संबंधी प्रावधान शिथिल कर दिए गए। मेसर्स ग्रांट थॉर्टन को कंसलटेंट बनाया गया, जबकि कंपनी पर अमेरिका में जुर्माना लग चुका है। उसने चयन के लिए झूठा शपथ पत्र दिया। संघर्ष समिति ने दावा किया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 का सेक्शन 131 परिसंपत्तियों और राजस्व क्षमता का मूल्यांकन आवश्यक करती है।

जमीन एक रुपये की लीज पर

बिजली निजीकरण प्रक्रिया शुरू होने से पहले यह नहीं किया गया। करीब एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियों वाले दोनों निगमों की आरएफपी में रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपये तय की गई और जमीन एक रुपये की लीज पर निजी कंपनियों को देने की योजना है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि इन परिस्थितियों में यह स्पष्ट है कि निजीकरण के नाम पर उत्तर प्रदेश में बड़ी लूट की तैयारी है। इसके विरोध में 4 अगस्त को प्रदेशभर में बिजली कर्मचारी एकजुट होकर प्रदर्शन करेंगे। सरकार ने बिजली निजीकरण वापसी की मांग करेंगे।

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