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बिजली जन सेवा है तो निजीकरण क्यों? ऊर्जा मंत्री के बयान पर संघर्ष समिति ने पूछे तीखे सवाल, निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
Electricity Privatization: संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री से मांग की कि जब उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि बिजली एक जन सेवा है, तो उन्हें पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय रद्द कर देना चाहिए।
Electricity privatization in uttar pradesh (Photo: Social Media)
Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों का निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बयान का समर्थन करते हुए कुछ सवाल पूछे है बिजली विभाग जन सेवा है, दुकान नहीं, तो इसका निजीकरण करके इसे दुकान क्यों बनाया जा रहा है? गुरुवार को लगातार 239वें दिन बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा है।
ऊर्जा मंत्री के बयान पर संघर्ष समिति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने गुरूवार को एक बयान जारी किया है। उस बयान में कहा कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का बयान बिजली एक जन सेवा है, दुकान नहीं सहीं है। समिति ने ऊर्जा मंत्री से अपील की है कि वे अपने वक्तव्य के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को जनसेवा का दायित्व निभाने दें और निजीकरण का निर्णय तत्काल रद्द कर दिया है।
बिजली जन सेवा तो निजीकरण क्यों
जहां सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली एक जन सेवा है, वहीं निजी घरानों के लिए यह केवल एक व्यापार है। संघर्ष समिति ने निजीकरण के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि आगरा में टोरेंट पावर कंपनी का उदाहरण दिया, जो दो किलोवाट कनेक्शन के लिए 9 लाख रुपये वसूल करती है। ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का हवाला देते हुए समिति ने बताया कि जहां सार्वजनिक वितरण निगम किसानों को मुफ्त बिजली देते हैं। वहीं निजी कंपनियां ऐसा नहीं करतीं।
निजीकरण से किसानों को कम बिजली
विद्युत नियामक आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए समिति ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में निजी कंपनी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को कम बिजली आपूर्ति करती है क्योंकि वे घाटे वाले क्षेत्र हैं, जबकि औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिलती है क्योंकि वे मुनाफे वाले क्षेत्र हैं। संघर्ष समिति ने साफ कहा कि मुनाफे का निजीकरण और घाटे का राष्ट्रीयकरण किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
ऊर्जा मंत्री से मांग संघर्ष समिति की मांग
संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री से मांग की कि जब उन्होंने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि बिजली एक जन सेवा है, तो उन्हें स्वयं पहल करके पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय तुरंत रद्द कर देना चाहिए, ताकि ऊर्जा निगमों में स्वस्थ कार्य वातावरण बन सके। गुरूवार को सैकड़ों की संख्या में बिजली कर्मी मेरठ में प्रबंध निदेशक के कार्यालय पहुंचे और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
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