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बिजली निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में की सभाएं, नियामक आयोग पर दबाव डालकर अनुमोदन कराने की कोशिश का आरोप

Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि नौ जुलाई को देशभर में के 27 लाख कर्मचारी निजीकरण के विरोध में एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इनके साथ 20 करोड़ से अधिक कर्मचारी और मजदूर आदि केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 7 July 2025 7:59 PM IST
बिजली निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन
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बिजली निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रदर्शन (फोटो: न्यूजट्रैक नेटवर्क)

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर उठे विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए विद्युत नियामक आयोग पर दबाव डालकर असंवैधानिक दस्तावेजों का अनुमोदन कराने की कोशिश की जा रही है। ऐसा प्रयास सफल हुआ तो बिजली कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे।

नौ जुलाई को देशभर में होगा प्रदर्शन

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बताया कि नौ जुलाई को देशभर में के 27 लाख कर्मचारी निजीकरण के विरोध में एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। इसी दिन 20 करोड़ से अधिक कर्मचारी और मजदूर आदि केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण नीतियों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश में एक लाख से अधिक बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता व्यापक विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे।

नियामक आयोग अध्यक्ष से हुई मीटिंग

संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन और एमडी की अचानक से नियामक आयोग अध्यक्ष से मीटिंग की खबर से बिजली कर्मियों में आक्रोश फैल गया है। इस पर समिति का कहना है कि निजीकरण की प्रक्रिया में लगातार नियमों व प्रक्रियाओं का उल्लंघन हो रहा है। ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में हितों के टकराव से जुड़े सीवीसी के दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई है।

तीन बार गलत तरीके से सेवा विस्तार

इसके अलावा समिति ने आरोप लगाया कि निदेशक वित्त निधि नारंग को तीन बार गलत तरीके से सेवा विस्तार दिया गया, जिससे निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिल रही है। विद्युत नियामक आयोग पहले ही आरएफपी डॉक्यूमेंट में कई आपत्तियां लगाकर उसे वापस कर चुका है। अब उसी डॉक्यूमेंट को फिर से अनुमोदन के लिए भेजा गया है, नियामक आयोग पर दबाव डाला जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि अगर नियामक आयोग पर दबाव डालकर डॉक्यूमेंट को मंजूरी दी गई ।

जीरो टॉलरेंस नीति की हुई अवहेलना

वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की अवहेलना होगी। समिति ने विश्वास जताया कि सीएम प्रक्रिया को अनुमति नहीं देंगे। सभी जनपदों और परियोजनाओं पर सोमवार को आंदोलन का 222वां दिन था। जहां विरोध प्रदर्शन के दौरान बिजली कर्मचारियों ने जेल भरो आंदोलन में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में अपने नाम दर्ज कराए। संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यदि निजीकरण के प्रयास नहीं रोके गए तो आंदोलन और तेज होगा।

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