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UP Electricity Privatization: बिजली निजीकरण विरोधी आंदोलन में कर्मचारियों के परिवार भी होंगे शामिल, संघर्ष समिति का बड़ा ऐलान

UP Electricity Privatization: संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि नवंबर 2024 में पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का ऐलान किया था।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 12 July 2025 5:20 PM IST
UP Electricity Privatization: बिजली निजीकरण विरोधी आंदोलन में कर्मचारियों के परिवार भी होंगे शामिल, संघर्ष समिति का बड़ा ऐलान
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बिजली निजीकरण विरोधी आंदोलन में कर्मचारियों के परिवार भी होंगे शामिल  (PHOTO: Social media )

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण को लेकर जारी विवाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने शनिवार को ऐलान किया कि निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों के परिवार भी आंदोलन में भाग लेंगे। समिति ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन वैधानिक अड़चनों के बाद दमन और भय का वातावरण बनाकर निजीकरण थोपने की कोशिश कर रहा है, लेकिन प्रयास सफल नहीं होने दिया जाएगा।

नवंबर 2024 में निजीकरण का ऐलान

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि नवंबर 2024 में पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का ऐलान किया था। इसके तुरंत बाद से संघर्ष समिति ने आंदोलन की शुरुआत की थी। जिसके कारण बीते सात महीनों में आंदोलन ने पूरे प्रदेश में जोर पकड़ा है, जिसके चलते पावर कॉरपोरेशन निजीकरण

लागू नहीं कर पाया है। अब तक कई बिजली पंचायत और बिजली महापंचायत आयोजित कर उपभोक्ताओं और किसानों को आंदोलन से जोड़ा गया है।

नियामक आयोग की टैरिफ सुनवाई में मुद्दा

नौ जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बाद मुद्दा केवल कर्मचारियों का नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं और किसानों के लिए भी एक राष्ट्रीय मामला बन गया है। कानपुर और वाराणसी में नियामक आयोग की टैरिफ सुनवाई के दौरान उपभोक्ता परिषद, किसान संगठनों और अन्य समूहों ने निजीकरण के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि इन वैधानिक बाधाओं से परेशान कॉरपोरेशन ने दमन का रास्ता चुन लिया है। समिति के अनुसार हजारों बिजली कर्मियों का दूरदराज स्थानों पर ट्रांसफर किया गया है, सैकड़ों

वेतन फेशियल अटेंडेंस के नाम पर रोका

कर्मियों का वेतन फेशियल अटेंडेंस के नाम पर रोका गया है। इसके अलावा कई नेताओं पर आय से अधिक संपत्ति के झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं। इतना ही नहीं कर्मचारियों के घरों पर पुलिस बल के साथ स्मार्ट मीटर लगाने की कार्रवाई की जा रही है। इसको संघर्ष समिति ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 और रिफॉर्म ट्रांसफर स्कीम 2000 का खुला उल्लंघन बताया है। इन कानूनों के तहत बिजली कर्मचारियों को रियायती दर पर बिजली और मेडिकल रीइंबर्समेंट जैसी सुविधाएं टर्मिनल बेनिफिट के रूप में सुनिश्चित हैं, जिन्हें बिना सहमति के कम नहीं किया जा सकता है।

कर्मचारियों के परिवार आंदोलन में शामिल

स्मार्ट मीटर लगाने की कोशिश निजीकरण को आसान बनाने के लिए की जा रही है, ताकि निजी कंपनियों को भविष्य में रियायती बिजली देने की बाध्यता से छुटकारा दिया जाएं। ग्रेटर नोएडा का उदाहरण देते हुए समिति ने बताया कि वहां पहले से निजी कंपनी काम कर रही है, जो बिजली कर्मियों को कोई रियायती सुविधा नहीं देती है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि डर और दमन के बल पर निजीकरण को थोपने की कोशिशें सफल नहीं होंगी। अब कर्मचारी ही नहीं, उनके परिवार भी सड़क पर उतरकर सत्याग्रह करेंगे।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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