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बिजली निजीकरण के खिलाफ फूटा जनाक्रोश, नियामक आयोग को कर्माचारियों ने सौंपा ज्ञापन

Electricity Privatisation: संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन घाटे के झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण को बढ़ावा देना चाहता है, जो पूरी तरह भ्रामक और बेईमानी है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 17 July 2025 7:16 PM IST
Electricity Privatisation
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Electricity Privatisation (Photo: Social Media)

Electricity Privatisation: उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध की लहर तेज होती जा है। मेरठ में विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उपभोक्ता परिषद, किसान संगठनों और अन्य उपभोक्ता संगठनों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण प्रस्ताव का विरोध किया। सभी संगठनों ने कहा कि बिजली का निजीकरण किसानों, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में नहीं है और यह कदम पूरी तरह अस्वीकार्य है।

घाटे का झूठा तर्क संघर्ष समिति

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन घाटे के झूठे आंकड़ों के आधार पर निजीकरण को बढ़ावा देना चाहता है, जो पूरी तरह भ्रामक और बेईमानी है। समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने बताया कि वर्ष 2024-25 में 13,297 करोड़ की राजस्व वसूली हुई। जबकि 5,321 करोड़ की टैरिफ सब्सिडी, 376 करोड़ की नलकूप सब्सिडी आई। 630 करोड़ की बुनकर सब्सिडी मिली। इस प्रकार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम फायदा में रहा है।

उपभोक्ता और किसान का विरोध

राजस्व और बकाया को मिलाकर कुल आय 23,806 करोड़ रही है। जबकि खर्च 20,564 करोड़ था। निगम 3,242 करोड़ मुनाफे में रहा है। इसी तरह दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की कुल आय 21,795 करोड़ और खर्च 19,639 करोड़ रही है। यह निगम भी 2,156 करोड़ के लाभ में रहा है। इसके बावजूद निजीकरण का प्रस्ताव दिया गया है। जनसुनवाई में उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि झूठे आंकड़ों के बल पर उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली का बोझ नहीं थोपा जा सकता है।

किसानों को निजीकरण नहीं बर्दाश्त

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता संजीव राणा और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष सुमित शास्त्री ने कहा कि किसान किसी भी कीमत पर बिजली निजीकरण बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने निजीकरण के खिलाफ संघर्ष का ऐलान किया। इस दौरान संघर्ष समिति की ओर से सीपी सिंह, निखिल नायक, कृष्णा सारस्वत, आलोक त्रिपाठी, प्रगति राजपूत, गुरुदेव, पीपी सिंह, कपिल देव गौतम और जितेंद्र कुम ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार को ज्ञापन सौंपते हुए निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल निरस्त करने की मांग की है।

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