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Electricity Privatization: और उत्पीड़न के विरोध में संघर्ष समिति की 27 जुलाई को बड़ी बैठक, अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोकने का आरोप
Electricity Privatization : संयुक्त संघर्ष समिति पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में जारी आंदोलन को और तेज करने की तैयारी कर रही है।
Electricity Privatization
Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में जारी आंदोलन को और तेज करने की तैयारी कर रही है। इसी के चलते विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश की कोर कमेटी की बैठक रविवार, 27 जुलाई को लखनऊ में बुलाई गई है। जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
प्रबंधन कर्मचारियों पर कर रहा कार्रवाई
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने जानकारी देकर बताया कि निजीकरण की राह आसान न होती देख पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन कर्मचारियों पर दमनकारी कार्रवाई कर रहा है। उत्पीड़न की नीति अपनाते हुए कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर मनमाना तबादला किया गया है। उसमें महिला कर्मचारी भी शामिल हैं। संघर्ष समिति के आरोप अनुसार कि इनमें अधिकांश कर्मचारी किसी स्थानांतरण नीति के दायरे में नहीं आते, लेकिन निजीकरण को लेकर दबाव बनाने के चलते उत्पीड़न किया जा रहा है।
फेशियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोका
संघर्ष समिति ने बताया कि फेशियल अटेंडेंस के नाम पर 7000 से अधिक बिजली कर्मचारियों का जून माह का वेतन रोक दिया गया है। लेकिन जुलाई का अंत आ गया है, जून माह का वेतन नहीं दिया गया। इसके लिए कर्मचारियों से कहा गया कि जब तक वे फेशियल अटेंडेंस नहीं लगाएंगे, तब तक वेतन नहीं मिलेगा। इसी प्रकार रियायती बिजली की सुविधा जो इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999, ट्रांसफर स्कीम 2000 और इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत संरक्षित है। उसे समाप्त करने के उद्देश्य से कर्मचारियों के घरों पर स्मार्ट मीटर जबरन लगाए जा रहे हैं।
कर्मचारियों को परेशान करने का आरोप
समिति ने सेवानिवृत्त बुजुर्ग कर्मचारियों तक को प्रक्रिया में परेशान करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही कर्मचारियों को धमकी दी जा रही है कि स्मार्ट मीटर न लगवाने की स्थिति में उनका तबादला दूरस्थ स्थानों पर किया जाएगा, जबकि ट्रांसफर सीजन समाप्त हो चुका है। संघर्ष समिति ने यह भी आरोप लगाया कि वरिष्ठ पदाधिकारियों पर फर्जी स्टेट विजिलेंस जांच के जरिए एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। यह सब निजीकरण का विरोध दबाने के लिए किया जा रहा है।
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