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Electricity Privatization: बिजली के निजीकरण के विरोध में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की लखनऊ में बैठक, केंद्र व राज्य सरकारों से की ये विशेष मांग

Electricity Privatization: रविवार को ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन काउंसिल की लखनऊ में बैठक हुई। इस बैठक में चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को रोका नहीं गया तो पूरे देश के बिजली इंजीनियर और कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 20 July 2025 5:58 PM IST (Updated on: 20 July 2025 6:34 PM IST)
Electricity Privatization: बिजली के निजीकरण के विरोध में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन की लखनऊ में बैठक, केंद्र व राज्य सरकारों से की ये विशेष मांग
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Electricity Privatization Protest

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण का विरोध तेज होता जा रहा है। रविवार को ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन काउंसिल की लखनऊ में बैठक हुई। इस बैठक में चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर बिजली निजीकरण की प्रक्रिया को रोका नहीं गया तो पूरे देश के बिजली इंजीनियर और कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। फेडरेशन काउंसिल ने केंद्र और राज्य सरकारों से सार्वजनिक क्षेत्र में पॉवर सेक्टर को बनाए रखने की अपील की है।

उड़ीसा में निजीकरण पूरी तरह विफल

इस बैठक में कहा गया कि उड़ीसा में बिजली वितरण के निजीकरण का प्रयोग तीन बार असफल हुआ है। पहले अमेरिका की एईएस कंपनी, फिर रिलायंस पावर और अब टाटा पावर सेवा देने में विफल रहा हैं। 15 जुलाई 2025 को उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पावर की चारों वितरण कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उपभोक्ता सेवा पर जन सुनवाई का आदेश दिया गया है।


यूपी में आरएफपी प्रक्रिया पर आरोप

फेडरेशन ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में निजीकरण प्रक्रिया में ग्रांट थॉर्नटन को ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट बनाकर चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में दस्तावेज तैयार किए गए हैं। यह इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 131 का खुला उल्लंघन है, जिसमें परिसंपत्तियों और राजस्व क्षमता का मूल्यांकन किए बिना ही आरएफपी तैयार कर दी गई। इससे एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की परिसंपत्तियां कौड़ियों में बेचे जाने का खतरा है।


ज्वाइंट वेंचर के नाम पर महंगी बिजली

फेडरेशन ने राज्य उत्पादन कंपनियों में ज्वाइंट वेंचर के गठन का विरोध किया है। उसने कहा कि इससे बिजली महंगी होगी। उत्तर प्रदेश की ओबरा-डी और अनपरा-ई (2x800 मेगावाट) परियोजनाओं को पुनः राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दिए जाने की मांग की गई। इसी तरह राजस्थान के कवई और झालावाड़ ताप बिजलीघरों के निजीकरण का भी विरोध किया गया। प्रदेश में बिजली कर्मियों पर हो रहे दमन की तीव्र निंदा की है।



कर्मियों पर हो रहे दमन की निंदा

इस बैठक में कहा गया कि कर्मचारियों के हजारों ट्रांसफर, फेशियल अटेंडेंस के बहाने वेतन रोकना, शीर्ष पदाधिकारियों पर एफआईआर और संविदा कर्मियों की छंटनी जैसी कार्रवाई डर का माहौल बनाने के लिए हो रही है। इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बैठक में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, दामोदर घाटी निगम, झारखंड, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के अभियंता संघों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।

उपभोक्ताओं से समर्थन की अपील

इस बैठक के अंत में उपभोक्ताओं से अपील की कि वे बिजली निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों के आंदोलन को समर्थन दें, यह लड़ाई सस्ती, सुलभ और विश्वसनीय बिजली सेवा को बनाए रखने की है। इस दौरान सबने एक साथ बिजली निजीकरण का विरोध किया। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे की अध्यक्षता में बैठक लखनऊ के जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान में हुई। उसमें सेक्रेटरी जनरल पी रत्नाकर राव, अशोक राव, पीएन सिंह, सत्यपाल, कार्तिकेय दुबे, संजय ठाकुर सहित देशभर के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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Shalini Rai

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