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बाबा साहब की बात मानें योगी सरकार, उपभोक्ता परिषद बोला बिजली निजीकरण का फैसला ले सरकार
Electricity Privatization: उपभोक्ता परिषद ने कहा कि ऊर्जा मंत्री अखिलेश सरकार की तुलना करते हुए अपनी योगी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद अखिलेश सरकार ने 4 शहरों के बिजली निजीकरण का फैसला वापस लिया था।
Consumer council on electricity privatization (Photo: Social Media)
Electricity Privatization: राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के विधानसभा में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि अगर ऊर्जा मंत्री अखिलेश सरकार की तुलना करते हुए अपनी योगी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद ही सरकार ने 4 शहरों के बिजली निजीकरण का फैसला वापस लिया था। वर्तमान सरकार भी प्रदेश मेें निजीकरण का फैसला वापस ले।
सुधार हो रहा तो निजीकरण की क्यो?
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री के बयान को सही ठहराया कि ऊर्जा क्षेत्र में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब बिजली कंपनियां आगे बढ़ रही हैं, सुधार हो रहा है, तो फिर सरकार को यह भी ऐलान करना चाहिए कि अडानी, टाटा या अन्य निजी घरानों को निजी क्षेत्र में बिजली वितरण का काम नहीं दिया जाएगा। ऊर्जा मंत्री तुलनात्मक चर्चा कर रहे हैं, तो उन्हें पूरी तस्वीर दिखानी चाहिए।
अखिलेश ने वापस लिया था फैसला
ऊर्जा मंत्री को याद दिलाया कि वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में गाजियाबाद, वाराणसी, मेरठ और कानपुर शहरों के बिजली वितरण को निजी क्षेत्र में देने का फैसला किया था। उस समय उपभोक्ता परिषद ने फैसले को विद्युत नियामक आयोग में चुनौती दी थी। परिषद के विरोध और दाखिल हलफनामे के बाद सरकार ने उपभोक्ता परिषद की मांग मान ली और निजीकरण का फैसला वापस ले लिया था। अखिलेश की सरकार ने जनहित में फैसला वापस लिया था।
बाबा साहब की बात मानें सरकार
उसी तरह वर्तमान सरकार को भी निजीकरण का फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के सुधार के लिए लगभग 44,000 करोड़ से ज्यादा खर्च किया जा रहा है। बिजनेस प्लान में हजारों करोड़ खर्च हो रहे हैं। ऐसे में इतना पैसा खर्च करके सुधार हो रहा है, तो अडानी और टाटा जैसी निजी कंपनियों को देने की बात पर विराम लगा देना चाहिए। वह बाबा साहब के विचारों पर आगे बढ़े और बिजली क्षेत्र को सरकारी हाथों में ही रहने दे।
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