घोटालों से भरा बिजली निजीकरण! संघर्ष समिति ने सीएम योगी से की रद्द करने की अपील

Electricity Privatization: संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया संदिग्ध है। विद्युत मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में जारी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का हवाला देते हुए कई आरोप लगाए है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 12 Aug 2025 9:01 PM IST
Electricity Privatization in UP
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Electricity Privatization in UP (Photo: Social Media)

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सवाल उठाए हैं। समिति ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि निजीकरण के बाद निजी कंपनियों को कितने साल व कितनी आर्थिक मदद दी जाएगी। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे इस घोटालों से भरे निजीकरण को रद्द कर दे।

ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का हवाला

संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली निजीकरण की प्रक्रिया संदिग्ध है। सरकार विद्युत मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में जारी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का हवाला देते हुए कई आरोप लगाए। समिति ने ड्राफ्ट प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि ड्राफ्ट के अनुसार निजी कंपनियों को तब तक सब्सिडी में थोक बिजली आपूर्ति की जाएंगी, जब तक कंपनी मुनाफे में नहीं आ जाती है। समिति ने पूछा है कि यह कितने साल तक चलेगा और सरकार को कितना खर्च करना पड़ेगा।

महंगे करारों का बोझ सरकार उठाएंगी

समिति ने आरोप लगाया कि प्रदेश के बिजली निगमों के घाटे की मुख्य वजह महंगी दरों पर निजी कंपनियों से बिजली खरीद करार हैं। निजीकरण के बाद सरकार इन महंगे करारों का बोझ खुद उठाएगी और निजी कंपनियों को सब्सिडाइज्ड दरों पर बिजली देगी। ड्राफ्ट के अनुसार सरकार 5 से 7 साल या उससे अधिक समय तक निजी कंपनियों को वित्तीय सहायता देगी, जब तक आत्मनिर्भर नहीं हो जातीं है। निजी कंपनियों को "क्लीन बैलेंस शीट" दी जाएगी। सभी देनदारियों सरकार भरेगी।

कंपनियों को 1 रूपये लीज पर जमीन

सरकार निजी कंपनियों को किसानों और बुनकरों को दी जाने वाली सब्सिडी की धनराशि देगी। सरकारी विभागों का बिजली बकाया अदा करेगी, जो सरकारी निगमों को नहीं मिल रहा है। समिति ने आरोप लगाया कि वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर समेत 42 जिलों में कीमती सरकारी जमीन निजी कंपनियों को मात्र 1 रुपये प्रति वर्ष की लीज पर दी जाएगी। यदि यही सब करना है तो विद्युत वितरण निगमों को सुधारने के बजाय "कौड़ियों के मोल" बेचने की क्या जरूरत है?

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