सरकार टोरेंट पावर का करार करो रद्द, संघर्ष समिति ने कहा कि 15 साल में 2200 करोड़ रूपये कंपनी ने नहीं चुकाया

Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के अनुसार टोरेंट पावर कंपनी ने 15 वर्षों में 2200 करोड़ का बकाया बिजली राजस्व पावर कॉर्पोरेशन को नहीं लौटाया है, जो समझौते की शर्तों का उल्लंघन है। इसके बदले कंपनी को 10 प्रतिशत इंसेंटिव मिलना था।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 31 July 2025 6:56 PM IST
Electricity Privatization in UP
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बिजली निजीकरण के विरोध में लोगों जागरूक करते कर्मचारी (फोटो: नेटवर्क)

Electricity Privatization: उत्तर प्रदेश में विद्युत निजीकरण के खिलाफ प्रदेशभर में बिजलीकर्मियों का विरोध प्रदर्शन 246वें दिन भी जारी रहा है। संघर्ष समिति ने आगरा में टोरेंट पावर कंपनी के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी करार को रद्द करने की मांग की है। समिति के अनुसार कंपनी ने 15 वर्षों में 2200 करोड़ का बकाया बिजली राजस्व पावर कॉर्पोरेशन को नहीं लौटाया है, जो समझौते की शर्तों का उल्लंघन है।

राजस्व धनराशि को हथियाने की कोशिश

विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने आरोप लगाया बिजली निजीकरण के पीछे निजी घराने बकाया राजस्व धनराशि को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं। आगरा मॉडल का हवाला देते हुए संघर्ष समिति ने बताया कि अप्रैल 2010 में टोरेंट पावर को आगरा की बिजली व्यवस्था सौंपी गई थी, तब 2200 करोड़ की वसूली कंपनी को करनी थी, उस पैसे को पॉवर कॉर्पोरेशन को लौटाना था। इसके बदले कंपनी को 10 प्रतिशत इंसेंटिव मिलना था। लेकिन 15 वर्षों बाद भी कंपनी ने पैसा नहीं लौटाया है।

दोनों निगमों में 66 हजार करोड़ बकाया

समिति ने आगे कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों में करीब 66 हजार करोड़ का राजस्व बकाया है। पावर कॉर्पोरेशन द्वारा तैयार आरएफपी दस्तावेज के मुताबिक निजी कंपनियां इस राशि का केवल 40 प्रतिशत ही वसूलेंगी और लौटाएंगी। जबकि शेष 40 हजार करोड़ निजी कंपनियों के पास रह जाएगी। जिसको समिति ने "मेगा घोटाला" करार दिया है। संघर्ष समिति आगे कहा कि उड़ीसा, नागपुर, रांची, औरंगाबाद समेत देश के कई शहरों में असफल रहे है।

नोएडा और आगरा का मॉडल विफल

निजीकरण के उदाहरण गिनाते हुए चेताया कि उत्तर प्रदेश में भी दोहराया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा और आगरा के मॉडल को पूरी तरह विफल बताते हुए समिति ने इनके करार रद्द करने की मांग की है। ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के बयान का संघर्ष समिति ने स्वागत किया। उन्होंने प्रदेश मेें संविदा कर्मियों की मनमानी छंटनी को लेकर चिंता जताई थी। समिति ने मांग की है कि मार्च 2023 की हड़ताल के दौरान हटाए गए सभी संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाए।

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