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निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का आंदोलन रहेगा जारी, संघर्ष समिति की आमसभा में लिया गया निर्णय
Electricity Privatization: संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजलीकर्मी उपभोक्ता सेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। उनका स्वभाव आंदोलन करना नहीं है। उड़ीसा, नागपुर, औरंगाबाद, आगरा, ग्रेटर नोएडा, रांची जैसे अनेक शहरों में बिजली निजीकरण के प्रयोग पहले ही विफल हो चुके हैं।
Electricity workers protest (Photo: Social Media)
Electricity Privatization: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मंगलवार को आयोजित आम सभा में सर्वसम्मति से बड़ा निर्णय लिया है। बिजली विभाग के निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में जारी आंदोलन अनवरत चलता रहेगा। जब तक सरकार निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लेती और उत्पीड़न की कार्रवाइयां रद्द नहीं करती है। आंदोलन के 244 दिन पूरे होने पर आमसभा में प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों ने भाग लिया। आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया है।
कर्मी उपभोक्ता सेवा के प्रति समर्पित
संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मी उपभोक्ता सेवा के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। उनका स्वभाव आंदोलन करना नहीं है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा, नागपुर, औरंगाबाद, आगरा, ग्रेटर नोएडा, रांची जैसे अनेक शहरों में बिजली निजीकरण के प्रयोग पहले ही विफल हो चुके हैं। समिति ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले 42 जनपदों में प्रदेश की सबसे गरीब जनता रहती है। निजी कंपनियां मुनाफा कमाने के उद्देश्य से काम करती हैं, जिससे बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी होगी और गरीब जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
निजीकरण के पीछे की सच्चाई बताएंगे
संघर्ष समिति ने चेताया कि अगर निजीकरण का निर्णय वापस ले लिया जाता है। तो बिजली कर्मचारी उसी क्षण आंदोलन समाप्त कर व्यवस्था सुधारने में लग तेजी से लगा जाएंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले विधायकों को पत्र भेजकर निजीकरण के पीछे की सच्चाई और झूठे आंकड़ों की हकीकत से अवगत कराया जाएगा। उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों को लेकर भी आमसभा में गहरी नाराजगी जताई गई। जहां वक्ताओं ने बताया कि संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया, वेतन रोका गया, दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया, कर्मचारियों के घरों में जबरदस्ती स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं।
पदाधिकारियों पर फर्जी एफआईआर दर्ज
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पर फर्जी एफआईआर दर्ज की जा रही हैं। संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि 19 मार्च 2023 को हुए लिखित समझौते के बावजूद कार्यवाहियां वापस नहीं हुई हैं। ऊर्जा मंत्री समझौते से मुकर चुके हैं। अब समिति से संवाद करने के लिए तैयार नहीं हैं, जिससे प्रदेशभर के बिजली कर्मचारियों में गहरा आक्रोश है। अंत में निजीकरण को अस्वीकार्य बताते हुए आंदोलन को और तेज करने का संकल्प लिया है। आमसभा के साथ-साथ सभी जनपदों और परियोजनाओं में मंगलवार को भी निजीकरण व उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रहे है।
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