बिजेथुआ महावीरन धाम: जहाँ हनुमान जी ने किया कालनेमि वध

सुलतानपुर का बिजेथुआ धाम हनुमान जी की लीलाओं का पवित्र स्थल, जहाँ मूर्ति का पैर धंसा है भूमि में

D. Rajnish Shrivastava
Published on: 18 Oct 2025 2:48 PM IST
Bajithua Mahaviran Dham
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Bajithua Mahaviran Dham (image from Social Media)

Bajithua Mahaviran Dham: अयोध्या धाम से लगभग 100 किलोमीटर दूर, सुलतानपुर जिले की कादीपुर तहसील में स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह प्राचीन मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रामायण काल की एक महत्वपूर्ण घटना का साक्षी है, जब हनुमान जी ने अपनी बुद्धिमत्ता और शक्ति से रावण के मायावी मामा, कालनेमि राक्षस का वध किया था।

हनुमान जी की अनूठी प्रतिमा का रहस्य

बिजेथुआ महावीरन धाम की सबसे बड़ी विशेषता यहाँ स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा है। देश के अन्य मंदिरों में हनुमान जी अलग-अलग स्वरूपों में विराजमान हैं, लेकिन यहाँ की मूर्ति सबसे अलग है क्योंकि इसका एक पैर ज़मीन में बहुत गहराई तक धंसा हुआ है। इसी वजह से यह मूर्ति थोड़ी तिरछी दिखाई देती है।


स्थानीय निवासियों और पुजारियों का मानना है कि प्रतिमा को सीधा करने के लिए एक बार 100 फीट से अधिक खुदाई करवाई गई थी, लेकिन मूर्ति का दूसरा सिरा नहीं मिला, जिससे यह सिद्ध होता है कि यह वही स्थान है जहाँ हनुमान जी ने कालनेमि को वध कर पाताल में धंसा दिया था।


रामायण काल की कथा

मंदिर की प्राचीन कथा रामायण से जुड़ी है। जब लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा और वे मूर्छित हो गए, तो वैद्य सुषेण के कहने पर हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय जा रहे थे। रावण ने उनके कार्य में बाधा डालने के लिए अपने मायावी मामा कालनेमि को साधु के वेश में बिजेथुआ के पास भेजा।


कालनेमि ने हनुमान जी को विश्राम करने और समीप के मकरी कुंड में स्नान कर गुरु मंत्र लेने का आग्रह किया। स्नान के लिए कुंड में उतरते ही हनुमान जी का स्पर्श एक मकड़ी को हुआ। यह मकड़ी वास्तव में एक अप्सरा थी, जो ऋषि के श्राप से मुक्त होकर अपने असली रूप में आ गई। अप्सरा ने हनुमान जी को बताया कि साधु के रूप में कालनेमि एक राक्षस है और उन्हें मारना चाहता है।


सत्य जानने के बाद, हनुमान जी कुंड से बाहर निकले और कालनेमि से कहा कि पहले गुरु दक्षिणा ले लें। इतना कहकर उन्होंने साधु रूपी राक्षस के सिर पर पैर रखकर उसे धरती में दबा दिया, जिसके बाद वह पाताल में चला गया। इसके बाद हनुमान जी ने पास के हत्या हरण कुंड में स्नान किया और फिर संजीवनी लेने के लिए आगे बढ़े।


भक्तों की आस्था और भव्य आयोजन

यह स्थान श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत प्रसिद्ध है। हर शनिवार और मंगलवार को यहाँ बड़ा मेला लगता है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्तजन अपनी मनोकामना पूरी होने पर यहाँ घंटियाँ चढ़ाते हैं।

वर्ष 1982 से यहाँ पर भव्य रूप से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष (2025) तीन दिवसीय कार्यक्रम 9 नवंबर से 11 नवंबर तक आयोजित होगा, जिसमें जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य कथा कहेंगे और पद्मश्री मालिनी अवस्थी, कैलाश खेर तथा पद्मश्री अनूप जलोटा भजन संध्या प्रस्तुत करेंगे।

कैसे पहुंचें बिजेथुआ महावीरन धाम:

स्थान: कादीपुर तहसील के सूरापुर-सुलतानपुर रोड पर, जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूर।

सड़क मार्ग: बस या निजी टैक्सी द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

निकटतम रेलवे स्टेशन: सुलतानपुर रेलवे जंक्शन।

हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डे प्रयागराज (इलाहाबाद) और लखनऊ में चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैं।

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