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Sultanpur News: बेबस दरोगा ने रो रोकर माँगा इंसाफ, दबंगों ने बीच सड़क पर की पिटाई, अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

Sultanpur News: जिला मेडिकल कॉलेज के जनरल वार्ड में भर्ती नगर कोतवाली में तैनात दरोगा श्रीराम मिश्रा इस समय ज़िंदगी और सिस्टम के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं।

Taaquweem Fatma
Published on: 1 July 2025 1:59 PM IST
Sultanpur News: बेबस दरोगा ने रो रोकर माँगा इंसाफ, दबंगों ने बीच सड़क पर की पिटाई, अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
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Sultanpur News

Sultanpur News: उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं, और इस बार शिकार बना है खुद खाकी पहनने वाला एक दरोगा। जी हाँ, सुल्तानपुर में ड्यूटी से घर लौटते समय एक दरोगा की बीच सड़क पर बेरहमी से पिटाई कर दी गई। हैरानी की बात यह है कि घटना की जानकारी अधिकारियों को देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। अब यह घायल दरोगा खुद अपने लिए इंसाफ की भीख माँग रहा है और मीडिया के सामने अपनी बेबसी की कहानी सुना रहा है।

जिला मेडिकल कॉलेज के जनरल वार्ड में भर्ती नगर कोतवाली में तैनात दरोगा श्रीराम मिश्रा इस समय ज़िंदगी और सिस्टम के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं। यह पूरी घटना 29 जून की रात की है, जब वे ड्यूटी से लौट रहे थे। उसी दौरान सौरमऊ इलाके में अज्ञात बदमाशों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया। सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं, और घायल अवस्था में वे खुद मेडिकल कॉलेज पहुँचे।

दरोगा श्रीराम मिश्रा ने बताया,"मैं ड्यूटी करके लौट रहा था, तभी कुछ लोग पीछे से आए और मुझ पर हमला कर दिया। मैंने तत्काल अपने अधिकारियों को सूचना दी, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। आज मैं खुद अपने लिए न्याय माँग रहा हूँ । जब यह मामला मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो पुलिस महकमे ने बचाव का रास्ता अपनाते हुए घायल दरोगा का ट्रांसफर नगर कोतवाली से मोतिगरपुर थाने में कर दिया। माना जा रहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि मामला तूल न पकड़े। वहीं नगर कोतवाल धीरज कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन सवाल यह है कि जब वर्दीधारी ही महफूज़ नहीं हैं, तो आम जनता खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगी? क्या योगी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' की नीति सिर्फ नारों तक ही सीमित रह गई है?

पुलिस के आला अधिकारी अब तक इस मामले में चुप हैं। कैमरे पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि पुलिस की खामोशी क्या किसी दबाव का संकेत है या फिर यह लापरवाही का प्रतीक?सवाल गंभीर हैं लेकिन जवाब कहीं नहीं हैं। क्या खाकी वर्दी अब सिर्फ रस्म अदायगी बनकर रह गई है? और अगर ऐसा है, तो अपराधियों का मनोबल आखिर कौन तोड़ेगा?

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Shalini singh

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