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स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक छलांग: शहरी स्वच्छता में बना राष्ट्रीय मॉडल
Swachh Survekshan 2024: एक समय पर स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ता हुआ उत्तर प्रदेश अब शहरी स्वच्छता में राष्ट्रीय मॉडल बन गया है।
Swachh Survekshan 2024
Swachh Survekshan 2024: उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में जो प्रगति दर्ज की है, वह न केवल आंकड़ों की दृष्टि से प्रभावशाली है, बल्कि यह राज्य की शहरी नीतियों, प्रशासनिक प्रतिबद्धता और जनभागीदारी में हुए गहरे बदलाव का परिचायक भी है। 2023 की तुलना में राज्य ने लगभग हर प्रमुख स्वच्छता मानक में उल्लेखनीय सुधार किया है और महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे पारंपरिक अग्रणी राज्यों को चुनौती देते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
एक समय पर स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ता हुआ उत्तर प्रदेश अब अग्रिम पंक्ति में आ गया है। यह बदलाव सिर्फ सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहरों में सफाई को लेकर जनमानस में आई जागरूकता और स्थानीय निकायों की जवाबदेही ने इस सफलता को गति दी है।
आँकड़ों में बदलाव: 2023 बनाम 2024
2023 में उत्तर प्रदेश में केवल 2 शहर (प्रयागराज और नोएडा) Water+ प्रमाणित थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 16 हो गई। ODF++ यानी खुले में शौच से मुक्त और ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन वाले शहरों की संख्या 129 से बढ़कर 337 हो गई। राज्य को पहली बार 7-Star Garbage Free City का गौरव मिला, और वह शहर है लखनऊ।
2023 में जहाँ सिर्फ नोएडा 5 स्टार श्रेणी में था, वहीं 2024 में आगरा, गोरखपुर, कानपुर, गाज़ियाबाद, प्रयागराज और नोएडा—कुल 6 शहर इस श्रेणी में आ गए। 3 स्टार वाले शहरों की संख्या हल्की कमी के साथ 8 से घटकर 6 हुई, परन्तु 1 स्टार शहरों की संख्या 56 से बढ़कर 70 हो गई, जो छोटे और मध्यम शहरों में सफाई मानकों में सुधार को दर्शाता है। कुल मिलाकर गारबेज फ्री शहरों की संख्या 65 से बढ़कर 83 हो चुकी है।
जनसंख्या वर्ग के अनुसार प्रदर्शन
10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में लखनऊ राष्ट्रीय स्तर पर Top 3 में शामिल रहा। साथ ही आगरा, प्रयागराज, गाज़ियाबाद, कानपुर और वाराणसी Top 20 में स्थान बनाने में सफल रहे।
3–10 लाख की जनसंख्या वाले शहरों में गोरखपुर Top 5 में और मुरादाबाद, मथुरा, फीरोज़ाबाद, सहारनपुर, झांसी और बरेली Top 20 में शामिल हुए।
50,000–3 लाख की श्रेणी में बिजनौर और मोदीनगर ने Top 40 में स्थान पाया, जबकि 20,000–50,000 की श्रेणी में अनूपशहर ने देशभर में 13वां स्थान पाकर सबको चौंका दिया। हालाँकि, 20,000 से कम आबादी वाले किसी भी शहर या नगर निकाय को Top 100 में स्थान नहीं मिल पाया, जो एक सुधार का संकेत है।
प्रमुख सुधार और उपलब्धियाँ
घर-घर जाकर कचरा संग्रहण 2023 में 48% था, जो 2024 में बढ़कर 62% हो गया। कचरा प्रोसेसिंग दक्षता में और भी अधिक उछाल देखने को मिला—48% से सीधे बढ़कर 85% के पार पहुँच गई। Visible Cleanliness यानी दृश्य स्वच्छता के मानकों में उत्तर प्रदेश ने महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गोवा, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया।
स्वच्छ भारत मिशन के मानकों के अनुरूप राज्य ने लगभग हर मूल्यांकन मानक में या तो राष्ट्रीय औसत को पार किया या उसके बराबर प्रदर्शन किया।
परिवर्तन की प्रेरणा क्या रही?
इस परिवर्तन की जड़ में प्रशासनिक समन्वय, नीति निर्धारण, जनभागीदारी और निगरानी तंत्र की सुदृढ़ता रही। शहरी विकास विभाग के मिशन निदेशक अनुज कुमार झा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री, मुख्य सचिव और विभागीय प्रमुख सचिव को इस सफलता का श्रेय दिया।
“उत्तर प्रदेश ने एक साल में जो प्रगति की है, वह सामान्य नहीं है। कचरा प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना से लेकर रीयल-टाइम गारबेज ट्रैकिंग तक, राज्य ने शहरी स्थायित्व और जीवन गुणवत्ता की दिशा में एक नया आदर्श प्रस्तुत किया है,” — झा ने कहा।
सरकार की प्रमुख रणनीतियाँ
• 100 से अधिक कम्पोस्टिंग और मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) केंद्रों की स्थापना।
• GPS युक्त गारबेज कलेक्शन वाहनों की निगरानी हेतु केंद्रीय डैशबोर्ड।
• ज़बरदस्त IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) अभियान और Swachhata App का बढ़ा उपयोग।
• Water+ और ODF++ दर्जा पाने वाले शहरों को अतिरिक्त अनुदान और प्रोत्साहन।
• स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण और ग्रेडिंग।
विशेष उल्लेख वाले शहर
• लखनऊ उत्तर प्रदेश का पहला शहर बना जिसे 7-Star Garbage Free दर्जा मिला, और यह देश के Top 3 Million Plus Cities में स्थान पाने वाला शहर भी रहा।
• नोएडा ने लगातार दूसरे वर्ष Water+ और 5-Star का दर्जा बनाए रखा।
• गोरखपुर 3–10 लाख की श्रेणी में Top 5 में रहा।
• अनूपशहर ने 20k–50k श्रेणी में Top 20 में स्थान प्राप्त कर सरप्राइज़ पैकेज साबित किया।
• बिजनौर और मोदीनगर 50k–3 लाख वर्ग में Top 40 में स्थान पाने वाले चुनिंदा शहर रहे।
आगे की दिशा: Vision 2026
राज्य सरकार अब 2026 तक हर शहर को Water+ दर्जा दिलाने, स्रोत पर 100% कचरा पृथक्करण सुनिश्चित करने, लैंडफिल पर निर्भरता 5% से नीचे लाने, और उच्च घनत्व वाले शहरी क्षेत्रों में AI-आधारित स्मार्ट डस्टबिन लगाने जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की दिशा में कार्यरत है
उत्तर प्रदेश का यह प्रदर्शन केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक नवाचार और नागरिक सहभागिता एक साथ चलती हैं, तो कोई भी राज्य स्वच्छता में राष्ट्रीय अग्रणी बन सकता है। स्वच्छ भारत मिशन की दिशा में यह एक ऐसा मील का पत्थर है, जो पूरे देश को प्रेरणा दे सकता है।
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