UP में E-बसों का विस्तार: लखनऊ-कानपुर में दौड़ेंगी आधुनिक ई-बसें, राज्य सरकार से मिली हरी झंडी

प्रदेश सरकार ने नगरीय परिवहन को आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और सुविधाजनक बनाने की दिशा

Virat Sharma
Published on: 2 Sept 2025 5:59 PM IST
Lucknow News
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Lucknow News: Photo-Social Media

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश सरकार ने नगरीय परिवहन को आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लखनऊ और कानपुर नगर सहित आसपास के प्रमुख कस्बों में ई-बसों का संचालन नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर करने की मंजूरी दी गई है। इस फैसले का उद्देश्य बेहतर सेवाएं प्रदान करना और सरकार के वित्तीय बोझ को कम करना है।

नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि फिलहाल प्रदेश के 15 नगर निगमों में 743 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, जिनमें से 700 बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर संचालित हो रही हैं। अब एनसीसी मॉडल के तहत लखनऊ और कानपुर समेत उनके आसपास के कस्बों में 10-10 रूटों पर 9 मीटर लंबी एयर कंडीशन्ड ई-बसें चलाई जाएंगी। प्रत्येक रूट पर कम से कम 10 बसों का संचालन अनिवार्य होगा।

निजी ऑपरेटर के हवाले जिम्मेदारी, 12 साल तक चलेगा कॉन्ट्रैक्ट

इस परियोजना के तहत बसों का डिजाइन, फाइनेंसिंग, निर्माण, आपूर्ति और अनुरक्षण निजी ऑपरेटर द्वारा किया जाएगा। उन्हें 90 दिनों के भीतर प्रोटोटाइप ई-बस प्रस्तुत करनी होगी और एक साल के भीतर संचालन शुरू करना अनिवार्य होगा। प्रत्येक रूट पर अनुमानित खर्च 10.30 करोड़ होगा, जिसमें से 9.50 करोड़ बसों की खरीद और 0.80 करोड़ चार्जिंग उपकरणों व अन्य सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा।

कॉन्ट्रैक्ट की अवधि वाणिज्यिक संचालन की तिथि से 12 वर्षों के लिए तय की गई है। इस दौरान टैरिफ निर्धारण सरकार द्वारा किया जाएगा, जिसे समय-समय पर संशोधित किया जा सकेगा। इसके अलावा, सरकार की ओर से परिवहन विभाग और आरटीओ व आरटीए के माध्यम से सभी आवश्यक लाइसेंस और परमिट जारी किए जाएंगे।

किराया व गैर-किराया आय निजी ऑपरेटर को

ई-बसों से होने वाली किराया व गैर-किराया आय का संग्रह निजी ऑपरेटर करेंगे, जिससे सरकारी व्यवस्था पर दबाव कम होगा और सेवाओं में निजी क्षेत्र की दक्षता देखने को मिलेगी। सरकार इस परियोजना के लिए बिहाइंड-द-मीटर विद्युत अवसंरचना और अपॉर्चुनिटी चार्जिंग की सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगी। वहीं सरकार का मानना है कि इस पहल से ना सिर्फ पर्यावरण को लाभ मिलेगा, बल्कि शहरी यातायात प्रणाली अधिक प्रभावी और सुविधाजनक बनेगी। साथ ही, वित्तीय बोझ कम होने के साथ सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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