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यूपी में एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती घोटाला! एक नाम से 6 जिलों में नौकरी, 4.5 करोड़ की कमाई, लखनऊ में दर
UP News: एक नाम से 6 जिलों में नौकरी, 9 साल में 4.5 करोड़ की तनख्वाह हड़पी
UP Health Department Scam
UP News: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती से जुड़ा अब तक के सबसे बड़े फर्जीवाड़े से जुड़ा मामला सामने आया। बताया जाता है कि अर्पित सिंह नाम का शख्स पिछले 9 साल से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में एक ही नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि के आधार पर तैनाती पाकर वेतन उठा रहा था। आरोप है कि उसने बलरामपुर, फर्रुखाबाद, बांदा, रामपुर, अमरोहा और शामली जिलों में बतौर टेक्नीशियन नौकरी की और इन जिलों में नौकरी के दौरान अब तक करीब 4.5 करोड़ रुपए का वेतन हड़प चुका है।
इस फर्जीवाड़े का मामला तूल तब पकड़ा शुरू हुआ जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी पोस्ट शेयर करके सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े किए। स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा ये घोटाला मानव संपदा पोर्टल पर रजिस्टर्ड हुआ और उसकी हेराफेरी पकड़ी गई। इस मामले में पैरामेडिकल निदेशक डॉ. रंजना खरे की तहरीर पर लखनऊ के वजीरगंज थाने में अर्पित सिंह के खिलाफ गभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी है।
अखिलेश सरकार में भर्ती किए गए थे एक्स-रे टेक्नीशियन, 4.5 करोड़ की रकम हड़पी
आपको बता दें कि इस फर्जीवाडे की शुरुआत साल 2016 में हुई थी और उस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकार थी। बता दें कि अखिलेश सरकार के दौरान यूपीएसएसएससी से 403 एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती किए गए थे। इसी सूची में शामिल क्रमांक-80 पर दर्ज अर्पित सिंह ने हाथरस सीएमओ के अधीन पहली नियुक्ति पाई थी। लेकिन जब इस मामले में जांच हुई तो सामने आया कि वही अर्पित सिंह अलग-अलग जिलों में भी तैनात था। बताया जाता है कि सभी जगह उसका नाम, पिता का नाम अनिल कुमार सिंह और जन्मतिथि एक जैसी थी। एक जिले से उसे हर महीने 69,595 वेतन मिल रहा था और 9 सालों में केवल एक जिले से ही उसने 75 लाख से अधिक के वेतन उठा लिया। वहीं, जब उसकी नौकरी के कार्यकाल के दौरान की छह जिलों की रकम जोड़ी गई तो यह आंकड़ा 4.5 करोड़ तक पहुंच गया।
पैरामेडिकल डायरेक्टर ने वजीरगंज थाने में दर्ज कराई FIR
फर्जी नियुक्तियों का खुलासा होने के बाद महानिदेशालय स्तर पर हड़कंप मच गया। पैरामेडिकल डायरेक्टर डॉ. रंजना खरे ने लखनऊ के वजीरगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। अब इस पूरे मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य महानिदेशक, पैरामेडिकल निदेशक, संयुक्त निदेशक और नियुक्ति-तबादला से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका की जांच होगी। शक है कि सिर्फ अर्पित ही नहीं, बल्कि अंकित और अंकुर नाम से भी कई नियुक्तियां हुई हैं। इस सिलसिले में सभी सीएमओ से नियुक्ति और वेतन से जुड़े दस्तावेज तलब किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े इस बड़े घोटाले के सामने आने के बाद पूरे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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