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काशी विश्वनाथ मंदिर का ऐतिहासिक फैसला! पुजारियों और कर्मचारियों की किस्मत बदली, 3 गुना बढ़ेगा वेतन
Varanasi News: काशी विश्वनाथ मंदिर में नई नियमावली के अंतर्गत अब पुजारियों और कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा प्राप्त होगा। जिसके साथ तीन गुना वेतन बढ़ जाएगा।
Varanasi News (photo: SOCIAL MEDIA)
Varanasi News: काशी विश्वनाथ मंदिर में 40 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद अब आखिरकार नई 'कर्मचारी सेवा नियमावली' को आज श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने हरी झंडी दिखा दी है। इस ऐतिहासिक फैसले से मंदिर के पुजारियों, कर्मचारियों और सेवादारों को अब ‘राज्य कर्मचारी’ का दर्जा प्राप्त होगा और साथ ही उनका वेतन भी तकरीबन तीन गुना बढ़ा दिया जाएगा।
मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में न्यास की 108वीं बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में यह भी साफ़ हुआ कि जिन्हें पहले ₹30,000 मासिक वेतन मिलता था, उन्हें अब ₹80,000 से ₹90,000 तक दिए जाने पर विचार होगा। अधिकारियों के मुताबिक, इस नए ढांचे के लागू होने पर वेतन के साथ-साथ पदोन्नति, अवकाश और अन्य कई सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
जानकारी के मुताबिक, नियमावली में चार श्रेणियां तय की गई हैं—पूजा संवर्ग (पुजारी), कर्मचारी, सेवादार आदि—और इस सभी वर्गों के लिए 'ग्रेड और मैट्रिक्स' की व्यवस्था होगी, जैसे कि राज्य कर्मचारियों को मिलता है। काशी विश्वनाथ मंदिर पर पहले कभी इस तरह की सेवा नियमावली नहीं बनी थी। प्रदेश सरकार द्वारा इस मंदिर का अधिग्रहण 1983 में हुआ था, लेकिन तब से लेकर आज तक नियमावली का अभाव बना रहा था। अतः आज का फैसला ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक दोनों है।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
विषय विवरण
1. नियमावली लागू - मंदिर न्यास परिषद की 108वीं बैठक में हरी झंडी मिली
2. राज्य कर्मचारी दर्जा - पुजारी, कर्मचारी, सेवादार सभी को मिलेगा
3. वेतन वृद्धि - वर्तमान ₹30,000 से बढ़कर ₹80,000–₹90,000 तक
4. अन्य लाभ - पदोन्नति, अवकाश, भत्ते, ग्रेड-मैट्रिक्स जैसी सुविधाएं
5. इतिहास - 1983 से अधिग्रहित, लेकिन पहली बार नियमावली लागू हुई
पृष्ठभूमि और महत्व
इस पहल से मंदिर में काम करने वाले कर्मचारियों और पुजारियों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में ज़रूरी सुधार होगा। वेतन वृद्धि और अन्य सुविधाएं उन्हें ज़्यादा सम्मानजनक जीवनयापन प्रदान करेंगी। साथ ही, इससे मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता, नियमन और कर्मचारी सुरक्षा बढ़ने की संभावना है। न्यास ने इस नियमावली को लागू करने के साथ ही मंदिर के विकास कार्यों को भी गति दी है—जैसे डिजिटल संग्रहालय का निर्माण कार्य, धाम में सुविधाओं का आधुनिकीकरण और विशालाक्षी कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण पर सहमति।
बता दे, ये फैसला जो दशकों से नहीं लिया गया था, आज ये एक नई शुरुआत है। यह न सिर्फ मंदिर के अभ्यस्त और अर्चकों को हक़ एवं सम्मान देता है, बल्कि अन्य मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के लिए भी सेवा नियमावली का बड़ा उदाहरण बन सकता है।
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